kavya kise kahte hai काव्य किसे कहते हैं हिंदी में काव्य की परिभाषा काव्य के प्रकार काव्य के उदाहरण
Автор: Jharokha
Загружено: 2019-10-14
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Hindi Samanya for competitive exam- • Samanya Hindi (Hindi Grammar)
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काव्य की परिभाषा
काव्य की परिभाषा साहित्य के अनेक विद्वानों के द्वारा की गयी है। प्रमुख विद्वानों की परिभाषाएं इस प्रकार हैं-
1 आचार्य विश्वनाथ के अनुसार- ‘‘रसात्मकं वाक्यं काव्यं’’
इसका अर्थ है कि रस से युक्त वाक्य ही काव्य कहलाता है।
2 आचार्य जगन्नाथ के अनुसार - ‘‘रमणीय अर्थ के प्रतिपादक धर्म को काव्य कहते हैं।’’
इसका अर्थ है कि जिस गुण के कारण सुंदर अर्थ प्रकट होता है, वही काव्य कहलाता है।
3 आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार - ‘‘जो उक्ति ह््रदय में कोई भाव जगा दे और उस वस्तु तथ्य की मार्मिक भावना
में लीन कर दे, वह काव्य है।“
इसका अर्थ है कि जिस कथन से हमारे हृदय में कोई भाव पैदा हो जाये, और जो कहा जा रहा है, उसके प्रति हमें
मार्मिक भावना में डुबा दे, तो वही काव्य कहलाता है।
काव्य के भेद या प्रकार
काव्य के दो भेद या प्रकार होते हैं -
1. श्रव्य काव्य
2. दृश्य काव्य
श्रव्य काव्य किसे कहते हैं?
श्रव्य का अर्थ है, सुनना। ऐसा काव्य, हमें जिसका आनंद पढ़कर या सुनकर मिलता है, वही श्रव्य काव्य कहलाता है।
श्रव्य काव्य के उदाहरण
महाकाव्य, खंडकाव्य, मुक्तक काव्य, कहानी, उपन्यास आदि सभी श्रव्य काव्य ही हैं, क्योंकि इनका आनंद पढ़कर
या सुनकर उठाया जाता है।
श्रव्य काव्य के भेद हा
श्रव्य काव्य के दो भेद होते हैं - 1. प्रबन्ध काव्य 2. मुक्तक काव्य
ःप्रबन्ध काव्य
यदि कोई काव्य रचना एक कथात्मक स्वरूप में क्रमबद्ध तरीके से की जाये, तो वह प्रबन्ध काव्य कहलाती है।
पमुक्तक काव्य
मुक्तक का तात्पर्य है, स्वतंत्र या मुक्त रचना। ऐसी काव्य रचना जो विविध विषयों पर केंद्रित तथा उद्देश्यपूर्ण हो,
जो स्वयं में पूर्ण तथा स्वतंत्र हो, जिसके पदों या छंदों का पूर्व पद या छंद से सम्बन्ध न हो, उसे मुक्तक काव्य कहते
हैं।
मुक्तक काव्य के भेद या प्रकार
मुक्तक काव्य के दो भेद या प्रकार होते हैं - 1 . पाठ्य मुक्तक 2. गेय मुक्तक या प्रगीत।
पाठ्य मुक्तक
जिस काव्य रचना को पढ़ा जा सकता हो, परंतु गाया नहीं जा सकता हो, वह रचना पाठ्य मुक्तक कहलाती है।
गेय मुक्तक
जिस काव्य रचना पढ़ा भी जा सकता हो, और गाया भी जा सकता हो, वह रचना पाठ्य मुक्तक कहलाती है।
मुक्तक काव्य के उदाहरण
अ. पाठ्य मुक्तक : 1 पतंग, रचनाकार आलोक धन्वा
2 कविता के बहाने, रचनाकार कुंवर नारायण
3 कैमरे में बंद अपाहिज, रचनाकार रघुवीर सहाय
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काव्य की परिभाषा
काव्य की परिभाषा साहित्य के अनेक विद्वानों के द्वारा की गयी है। प्रमुख विद्वानों की परिभाषाएं इस प्रकार हैं-
1 आचार्य विश्वनाथ के अनुसार- ‘‘रसात्मकं वाक्यं काव्यं’’
इसका अर्थ है कि रस से युक्त वाक्य ही काव्य कहलाता है।
2 आचार्य जगन्नाथ के अनुसार - ‘‘रमणीय अर्थ के प्रतिपादक धर्म को काव्य कहते हैं।’’
इसका अर्थ है कि जिस गुण के कारण सुंदर अर्थ प्रकट होता है, वही काव्य कहलाता है।
3 आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार - ‘‘जो उक्ति ह््रदय में कोई भाव जगा दे और उस वस्तु तथ्य की मार्मिक भावना
में लीन कर दे, वह काव्य है।“
इसका अर्थ है कि जिस कथन से हमारे हृदय में कोई भाव पैदा हो जाये, और जो कहा जा रहा है, उसके प्रति हमें
मार्मिक भावना में डुबा दे, तो वही काव्य कहलाता है।
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