नैतिक शिक्षा -1 (गांधीजी और समय का महत्व )
Автор: M-Art Gallery
Загружено: 2025-06-10
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नैतिक शिक्षा - गांधीजी और समय का महत्व
महात्मा गांधी न केवल स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता थे, बल्कि वे अपने जीवन में अनुशासन, सादगी और समय की पाबंदी के लिए भी प्रसिद्ध थे। उनके जीवन का हर क्षण अनुशासन से बंधा होता था। एक बार की बात है, जब गांधी जी को एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करना था। सभा का समय शाम 5 बजे तय किया गया था। गांधी जी हमेशा की तरह समय से पहले सभा स्थल पर पहुँच गए। हजारों लोग उन्हें सुनने के लिए इकट्ठा हुए थे, लेकिन आयोजकों में कुछ देर हो गई, और उन्होंने गांधी जी से अनुरोध किया कि वे कुछ देर रुक जाएँ क्योंकि कुछ प्रमुख अतिथि अब तक नहीं पहुँचे थे।
गांधी जी ने आयोजकों की बात को शांतिपूर्वक सुना और कहा, "मैं समय का बहुत आदर करता हूँ। यदि मैंने पाँच बजे बोलना तय किया है, तो चाहे कोई भी आए या न आए, मैं अपने समय पर बोलना शुरू करूँगा।" ठीक पाँच बजे, बिना किसी देरी के, गांधी जी ने अपना भाषण देना शुरू किया। कुछ ही मिनटों में शेष अतिथि भी आ पहुँचे, लेकिन गांधी जी ने अपना भाषण रोके बिना जारी रखा। बाद में जब एक पत्रकार ने उनसे पूछा, "आपने उनका इंतज़ार क्यों नहीं किया?"
गांधी जी ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, "समय मेरा मित्र है। जो व्यक्ति समय का सम्मान नहीं करता, वह स्वयं का भी अपमान करता है। यदि मैं दूसरों को इंतजार करवाता, तो मैं उनके समय का अपमान करता।"
धन्यवाद।
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