कालभैरव सवारी आवाहन का रहस्य | प्राचीन शाबर परंपरा की कथाएँ
Автор: D Tantra 1986
Загружено: 2025-11-19
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नाथ संप्रदाय की गुप्त शाबर विद्या: कालभैरव सवारी का पारंपरिक वर्णन
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Description: नाथ संप्रदाय की गुप्त शाबर विद्या – कालभैरव सवारी का पारंपरिक वर्णन
नाथ संप्रदाय की साधनाओं में शाबर विद्या का अपना विशिष्ट स्थान है। यह परंपरा गुरु-शिष्य संवाद, अनुभव और शक्ति-उपासना के माध्यम से विकसित हुई मानी जाती है। कालभैरव, जिन्हें तंत्र और योग की गूढ़ शक्तियों का संरक्षक भी कहा गया है, नाथ परंपरा में अत्यंत पूजनीय हैं।
पारंपरिक मान्यताओं में “सवारी” का अर्थ ईश्वर के संरक्षण, चेतना या प्रेरक शक्ति के निकट अनुभव से लिया जाता है। इसे साधक की मानसिक, आध्यात्मिक तथा ऊर्जात्मक अनुभूति का एक गहन रूप माना जाता है, जहाँ व्यक्ति अपने भीतर साहस, स्पष्टता, अनुशासन और निर्भयता जैसे गुणों का उदय महसूस करता है।
नाथों की शाबर परंपरा में यह विद्या किसी चमत्कार या बाहरी प्रदर्शन के लिए नहीं, बल्कि आंतरिक जागरण, संयम, और धर्म मार्ग की दृढ़ता के लिए वर्णित हुई है। गुरु की दीक्षा, शुचिता, और मानसिक संतुलन को इसमें सर्वोच्च स्थान दिया गया है।
इस विवरण का उद्देश्य पाठकों को नाथ संप्रदाय की इस प्राचीन धारा से परिचित कराना है—एक ऐसी परंपरा जो भैरव-तत्व को भय के रूप में नहीं, बल्कि रक्षक चेतना, धैर्य का स्तंभ, और अंतर्मन की शक्ति के रूप में देखती है।
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