मानव शरीर प्रकृति का ही सूक्ष्म रूप है
Автор: राजविज्ञान - आध्यात्मिक जीवन से स्वास्थ्य
Загружено: 2025-12-22
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मानव शरीर प्रकृति का ही सूक्ष्म रूप है
जब मनुष्य प्रकृति के नियमों के अनुरूप चलता है—आहार, विहार, विचार में—तो शरीर–मन संतुलित रहता है।
प्रकृति से दूर होना, स्वयं से दूर होना है।
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