शुक्र का तुला राशि में गोचर का 12 राशियों पर प्रभाव02/11/2025
Автор: Adhyatmik Jyotish
Загружено: 2025-11-02
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र ग्रह को सौंदर्य, प्रेम, भौतिक सुख-सुविधाओं, कला, संगीत, वैभव और दांपत्य जीवन का कारक माना गया है। यह नवग्रहों में अत्यंत शुभ ग्रहों में से एक है। शुक्र को “दैत्य गुरु” भी कहा जाता है, क्योंकि यह असुरों के गुरु हैं। यह व्यक्ति के जीवन में विलासिता, आकर्षण और आनंद के तत्व लाता है। जिन जातकों की कुंडली में शुक्र मजबूत होता है, वे जीवन में सुंदरता, समृद्धि और प्रेम का अनुभव करते हैं।
शुक्र ग्रह का संबंध मुख्य रूप से वृषभ और तुला राशि से है, तथा यह इन दोनों राशियों का स्वामी होता है। इसका उच्च स्थान मीन राशि में और नीच स्थान कन्या राशि में होता है। शुक्र का शुभ प्रभाव व्यक्ति को कलात्मक, आकर्षक, रोमांटिक और लोकप्रिय बनाता है। वहीं, अशुभ स्थिति में यह व्यक्ति को विलासिता की अति, अपव्यय और प्रेम जीवन में असंतुलन की ओर ले जा सकता है।
शुक्र शुक्रवार का कारक ग्रह है और इसका रत्न हीरा (डायमंड) माना जाता है। जिनकी कुंडली में शुक्र कमजोर होता है, उन्हें शुक्रवार का व्रत रखना, माता लक्ष्मी की उपासना करना तथा चमेली के फूल से पूजा करना शुभ फल देता है। शुक्र का संतुलन जीवन में सौंदर्य और समृद्धि दोनों लाता है।
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