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अच्छे लोगों के साथ हमेशा बुरा ही क्यों होता है? | Achhe logo ke sath hamesha bura kyo hota hai?

अच्छे लोगों के साथ हमेशा बुरा ही क्यों होता है?

Why does bad always happen to good people?

Achhe logo ke sath hamesha bura kyo hota hai?

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Автор: Krishn Gyan

Загружено: 2023-05-08

Просмотров: 102

Описание: अच्छे लोगों के साथ हमेशा बुरा ही क्यों होता है? | Achhe logo ke sath hamesha bura kyo hota hai? | Why does bad always happen to good people?

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अच्छे लोगों के साथ हमेशा बुरा क्यों होता है? गीता में श्रीकृष्ण ने दिया है अर्जुन को इसका जवाब

गीता सार: आपने महसूस किया होगा कि जो लोग अच्छे कर्म करते हैं वो परेशान रहते हैं वहीं जो बुरे कर्म करते हैं वो खुशी से रह रहे होते हैं। अच्छे कर्म करने वाले परेशान होते हैं कि आखिर उन्हें इतनी परीक्षा क्यों देनी पड़ रही है जबकि जो अधर्म की राह में हैं वो खुश हैं और जिंदगी का लुत्फ उठा रहे हैं। अगर आपके मन में भी ये सवाल आया है तो आज हम आपको इसका जवाब देंगे, ये जवाब वो है जो भगवत गीता में लिखा है और श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था।

भगवत गीता में वर्णित कथा के अनुसार जब भी अर्जुन के मन में कोई दुविधा होती थी तो वो श्रीकृष्ण के पास पहुंच जाते थे। एक बार की बात है अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण के समीप आकर कहा कि वो दुविधा में हैं और इसका जवाब वो श्रीकृष्ण से चाहते हैं। श्रीकृष्ण ने पूछा कि क्या सवाल है? अर्जुन ने कहा- मुझे ये जानना है कि अच्छे लोगों के साथ हमेशा बुरा ही क्यों होता है? वहीं बुरे लोग खुशहाल दिखते हैं। अर्जुन के मुंह से ऐसी बातें सुनकर श्रीकृष्ण मुस्कुराएं और कहा- मनुष्य जैसा सोचता है और महसूस करता है वैसा कुछ नहीं होता है बल्कि अज्ञानता की वजह से वो सच्चाई नहीं समझ पाता है। अर्जुन उनकी ये बात समझ नहीं पाएं इसके बाद श्रीकृष्ण ने क्या कहा वो जानते हैं।

श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा- पार्थ मैं तुम्हें एक कथा सुनाता हूं, उसे सुनकर तुम समझ जाओगे कि हर प्राणी को उसके कर्म के हिसाब से ही फल मिलता है। प्रकृति हर किसी को अपनी राह चुनने का मौका देती है, अब वो मनुष्य की इच्छा पर निर्भर करता है कि उसे धर्म की राह चुननी है या अधर्म की। कथा शुरू करते हुए श्रीकृष्ण ने कहा- एक नगर में दो पुरुष रहा करते थे, एक पुरुष व्यापारी था जिसके जीवन में धर्म की बहुत महत्ता थी, वो पूजा-पाठ में यकीन रखता था, वो हर रोज मंदिर जाता था और दान-धर्म भी करता था और हर रोज भगवान की पूजा करता था। वहीं दूसरा पुरुष बिल्कुल विपरीत था वो हर रोज मंदिर तो जाता था लेकिन पूजा करने नहीं बल्कि मंदिर के बाहर से जूते-चप्पल चुराने। उसे दान और धर्म से कोई लेना-देना नहीं था। समय बीतता गया और एक दिन बहुत जोर की बारिश हो रही थी, इस वजह से मंदिर में पुजारी के अलावा कोई नहीं था। ये बात जब दूसरे पुरुष को पता चली तो उसने कहा कि ये सही मौका है, मंदिर का धन चुराने का।

पंडित से नजर बचाकर उसने मंदिर का सारा धन चुरा लिया। उसी समय धर्म-कर्म में विश्वास रखने वाला व्यक्ति भी मंदिर पहुंचा, दुर्भाग्य से मंदिर के पुजारी ने उसे ही चोर समझ लिया और चिल्लाने लगे। वहां लोग एकत्र हो गए और उसे बहुत मारा। किसी तरह वो बचते बचाते वहां से निकला तो दुर्भाग्य ने उसका साथ वहां भी नहीं छोड़ा, मंदिर के बाहर वो एक गाड़ी से टकरा गया और घायल हो गया। फिर वो व्यापारी लंगड़ाते हुए घर जाने लगा तो रास्ते में उसकी मुलाकात उस पुरुष से हुई जिसने मंदिर से धन चुराया था, उसने कहा- आज तो मेरी किस्मत चमक गई, एक साथ इतना सारा धन मिल गया। ये सब देखकर उसे बहुत बुरा लगा और उसने अपने घर से भगवान की सारी तस्वीरें निकाल दीं। कुछ सालों बाद दोनों की पुरुषों की मृत्यु हो गई। मरने के बाद जब दोनों यमराज की सभा में पहुंचे और भले पुरुष ने दूसरे व्यक्ति को देखा तो उसे बहुत गुस्सा आया।

उसने क्रोधित होकर यमराज से पूछ ही लिया- मैं तो हमेशा अच्छे कर्म करता था, दान में विश्वास रखता था। उसके बदले जीवन भर मुझे अपमान और दर्द ही मिला और इस व्यक्ति को नोटों से भरी पोटली। आखिर ऐसा भेदभाव क्यों? इस पर यमराज ने कहा- पुत्र तुम गलत समझ रहे हो। जिस दिन तुम्हारी गाड़ी से टक्कर हुई थी, वो दिन तुम्हारे जीवन का आखिरी दिन था। परंतु तुम्हारे अच्छे कर्मों की वजह से तुम्हारी मौत सिर्फ एक छोटी से चोट में बदल गई। तुम इस दुष्ट व्यक्ति के बारे में जानना चाहते हो, दरअसल इसके भाग्य में राजयोग था, मगर इसके कुकर्मों और अधर्म की वजह से वो सिर्फ एक छोटी सी धन की पोटली में बदल गया।

कथा सुनाने के बाद श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं- पार्थ क्या अब तुम्हें तुम्हारे सवाल का जवाब मिल गया? ऐसा सोचना कि भगवान तुम्हारे कर्मों को नजरअंदाज कर रहे हैं, ये बिल्कुल भी सत्य नहीं है। भगवान हमें कब क्या किस रूप में दे रहा है मनुष्य को समझ में नहीं आता है। मगर आप अच्छे कर्म करते रहें तो भगवान की कृपा हमेशा बनी रहती है। इसलिए अपने अच्छे कर्मों को बदलना नहीं चाहिए, क्योंकि उसका फल हमें इसी जीवन में मिलता है। इसलिए मनुष्य का फर्ज है कि वो हमेशा अच्छे कर्म करते रहें, क्योंकि श्रीकृष्ण ने गीता में भी बताया है कि किसी के द्वारा किया गया कर्म बेकार नहीं जाता है, चाहे वो अच्छा हो या बुरा।

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