दिवाली पर निबंध | diwali per nibandh | deepavali par nibandh | dipawali per nibandh |diwali par lekh
Автор: Surendra Study Store
Загружено: 2020-10-27
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Описание:
दीपावली/dipawali/Diwali/दिवाली
रूपरेखा-
(१) प्रस्तावना,
(२) दीपावली मनाने का कारण,
(३) घरों की मरम्मत एवं
लक्ष्मी पूजन,
(४) जुआ की कुप्रथा,
(५) उपसंहार
प्रस्तावना- अमावस की काली अँधियारी रात में टिमटिमाते दीपकों की पंक्तियाँ एवं नभ में छूटती हुई रंग-बिरंगी फुलझड़ियाँ मनुष्यों के हृदय में एक अपूर्व उत्साह तथा उमंग को घोल देती हैं। इस दीपावली को यदि प्रकाश का पर्व कहा जाय तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। दीपावली मनाने का कारण- दीपों के इस पर्व को किसी न किसी रूप में भारत की लगभग सभी जातियाँ मनाती हैं। इस पर्व के साथ अनेक पौराणिक एवं दन्तकथाएँ जुड़ी हुई हैं।
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम वनवास की अपनी चौदह वर्ष की अवधि को पूरा करके इसी तिथि को अयोध्या वापस आये थे। उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने अयोध्या को दीपों से दुल्हन की तरह सजाया था। घर-घर मिष्ठान बैठे थे। तभी से परम्परा रूप में यह त्योहार आनन्द, उल्लास और विजय का प्रतीक बन गया है क्योंकि इसकी पृष्ठभूमि श्रीराम विजय की पवित्र गाथा है।
घरों की मरम्मत एवं लक्ष्मी पूजन —
"दीवाली प्यारी आती है, दीवाली न्यारी आती है।
घरों का मैल हटाने को, सफेदी से पुतवाने को,
पुराना नया बनाने को, उनको सदा सजाने को।"
दीपावली से दो दिन पहले इस त्योहार का प्रारम्भ होता है। दो दिन पहले धनतेरस का पर्व मनाया जाता है फिर यम दुतिया का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन घर के दरवाजे पर दीपक जलाकर दीप-दान किया जाता है। दीपावली अमावस्या के दिन बड़ी धूमधाम से मनायी जाती है। रात्री के समय मुहूर्त के अनुसार लक्ष्मी व गणेश पूजन करते हैं।
घरों, दुकानों, बाजारों को दोपकों व बिजली की झालरों से सजाया जाता है। रात्रि को मिट्टी के दीपकों के प्रकाश से अन्धकार धुल जाता है। प्रत्येक घर में प्रसन्नता दिखायी देती है। विभिन्न तरह के पकवान तैयार किये जाते हैं। बच्चे बम-पटाके चलाते हैं और खुश होते हैं।
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