Dipak's creation h#15(Part1):महाभारत आदिपर्व कड़ी १५(1वाँ भाग ):अमृत लाने के लिए गरुड़ का स्वर्ग गमन
Автор: Dipak Dutta
Загружено: 2025-11-09
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Описание: गरुड़ का स्वर्ग गमन और विनता की दासता से मुक्ति गरुड़ ने अपनी माता विनता की दासता से मुक्ति के लिए स्वर्ग से अमृत लाने का संकल्प लिया। उसने अपने भाई अरुण को सूर्य के रथ का सारथी बनाकर यात्रा प्रारंभ की। विनता को क्षीरसागर के मध्य छोड़कर गरुड़ आकाश में उड़ चला। विनता दुःखी थी, पर गरुड़ के प्रणाम से उसका दुःख कुछ कम हुआ। तभी कद्रु आई और बोली — “मुझे रम्यक द्वीप पर ले चलो, जहाँ मेरे पुत्रों का निवास है।” गरुड़ ने कद्रु और नागों को अपनी पीठ पर बिठाकर आकाश में उड़ान भरी। सूर्य की प्रचंड गर्मी से नाग जलने लगे। कद्रु ने देवराज इन्द्र से प्रार्थना की, और इन्द्र ने वर्षा कर नागों को बचाया। गरुड़ ने उन्हें रम्यक द्वीप पहुँचाया — जहाँ स्वर्ण महल और चंदन के वन थे। कद्रु प्रसन्न हुई, पर गरुड़ बोला, “मेरा कार्य अभी समाप्त नहीं हुआ।”
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