पशु के पेट में गैस! Ruminal tympany/Acute Bloat )! Recumbency!Dysponea ( सांस लेने में समस्या)
Автор: Dr Ashwani Bassan Animal Care
Загружено: 2022-06-29
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पशु में अफारा रोग की समस्या
June 29/06/2022..Dr Ashwani Bassan
M.V.Sc Surgery & Radiology
जुगाली करने वाले पशुओं के पेट में लगातार एक निश्चित मात्रा में गैस बनती रहती है और बाहर निकलती रहती है लेकिन कभी कभी यह गैस बनने की एवं बाहर निकलने की दर में व्यवधान उत्पन्न हो जाता है तब इसको हम अफारा रोग बोलते हैं। अफारा का आमतौर पे मतलब है पशु के पेट में बहुत अधिक मात्रा में गैस का एकत्र हो जाना। ये रोग पशुओं में अचानक से होने वाली मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। सामान्यतः यह बहुत अधिक मात्रा में फली खाने से होता है या कभी कभी सामान्य मात्रा में बनी हुई गैस किसी रूकावट के कारण पेट से बाहर नहीं निकल पाती है जिससे अफारा बन जाता है। इस रोग में पशु के पेट में एसिडिटी, अमोनिया, कार्बनडाई ऑक्साइड, मीथेन जैसी दूषित गैस बन जाती हैं। अधिक मात्रा में गैस भर जाने से पशु की छाती पे बहुत दबाव पड़ता है और पशु को सांस लेने में समस्या होने लगती है जिससे पशु थककर बैठ जाता है या फिर एक तरफ लेट जाता है और अपने पैर पटकने लगता है और शीघ्र ही उचित इलाज न मिलने की स्थिति में कुछ ही घंटो में पशु की मृत्यु हो जाती है। अतः इस बीमारी को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए और लक्षण दिखने पर तुरंत किसी अनुभवी पशु चिकित्सक से इलाज करवा लेना चाहिए।
अफारा रोग के प्रमुख कारण
राशन में एकाएक कोई बदलाव करना।
ज्यादा मात्रा में हरा, सुख चारा और दाना खा लेना।
चारे भूसे के साथ कीड़े और जहरीले जानवर खा जाना।
दूषित पानी का पीना।
तैलीय आहार जैसे बिनौले को खिलाना।
अधिक मात्रा में हरा चारा बरसीम एवं खिलाना नए भूसे को देना।
हरी घास को परिपक्व होने से पहले ही पशु को खिलाना
गेहूं मक्का आदि अनाज ज्यादा मात्रा में खाने से।
पशु की आहारनाल में कोई बाहरी पदार्थ (आलू सेब इत्यादि) का फंस जाना जिससे की गैस बाहर न निकल पाए।
आहारनाल के चारो और की लसीका ग्रंथियों का फूल जाना।
कुछ अन्य संक्रामक बीमारियां जैसे की टेटनस।
अफारा रोग के प्रमुख लक्षण
पशु को सांस लेने में दिक्कत होना।
खाना और पानी पीना बंद कर देना।
पशु की जुगाली बंद हो जाना।
बाएं तरफ का पेट का हिस्सा (रूमेण) बाहर की तरफ उभर जाना ।
पशु के फुले हुए पेट पर धीरे धीरे हाथ मारने पर ड्रम जैसी आवाज़ निकलना।
अधिक खराब स्थिति में रूमेण की गति रुक जाना।
अफारा रोग का उपचार
आपातकालीन स्थिति में अतिशीघ्र रूमेण को ऑपरेशन द्वारा खोलकर उसके अंदर की गैस को बाहर निकलना चाहिए।
जहां तक हो सके पशु को बैठने न दें व धीरे-धीरे टहलाएं।
आमाशय नलिका की सहयता से गैस को बाहर निकालना।
अफारानाशक दवाइयां जैसे की ब्लॉटोसिल, टाईरेल इत्यादि पशु को पिलानी चाहिए।
तरल पैराफिन २००-४०० मिली० या सरसों का तेल पशु को पिलाना चाहिए
अफारा उतर जाने पर तुरन्त खाने को नही देना चाहिये जब तक पेट अच्छे से साफ़ न हो जाए।
अफ़रा होने पर घरेलू तरीके से प्राथमिक उपचार
वैसे तो अफारा का सबसे अच्छा इलाज यही है की जल्द से जल्द पशु चिकित्सक को बुला लें लेकिन यदि पशु चिकित्सक के आने में देर हो रही हो तो प्राथमिक उपचार तुरंत शुरू कर देना चाहिए जो कि निम्नवत है-
सबसे पहले पशु को बैठने ना दे उसे टहलाते रहे(घुमाते फिरते)
एक लीटर छाछ में 50 ग्राम हींग और 20 ग्राम काला नमक मिला कर उसे पिलाए।
सरसों अलसी या तिल के आधा लीटर तेल में तारपीन का तेल 50 से 60 मी.ली. लीटर मिला कर पिलाये।
घासलेट यानि मिटटी के तेल में सूती कपड़े को भिगो कर उसे सुघाये
आधा लीटर गुन गुने पानी में 15 ग्राम हींग घोल कर नाल द्वारा पिलाये।
पतली सुई द्वारा पेट की गैस बहार निकले(यह कार्य सावधानी पूर्वक करना चाहिए पूरी जानकारी नही होने पर न करे।)
अफारा रोग से बचाव
चारा भूसा आदि खिलने से पहले पशु को उचित मात्रा में पानी पिलाएं।
कुछ समय के लिए पशु को रोज़ खुला चरने दें।
पशुओं को दूषित चारा, दाना भूसा और पानी न दें।
हरा चारा जैसे बरसीम, ज्वार, बाजरा इत्यादि काटने के बाद कुछ समय पड़ा रहने दें उसके बाद खिलाएं।
पशु को लगातार भोजन नहीं देना चाहिए और कम से कम 20 मिनट का अन्तराल जरूर दें।
हरा चारा पूरी तरह पकने के बाद ही खिलाएं।
राशन में यकायक कोई बदलाव न करें।
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