लोहड़ी पर्व - लोहड़ी का त्योहार महत्व और पूजा विधि - Lohri 2019
Автор: Ved Sansar
Загружено: 2019-01-12
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लोहड़ी का त्योहार सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे देश-विदेश में धूमधाम के साथ मनाया
जाता है। हालांकि यह खास त्योहार पूरे उत्तर भारत में विशेषकर पूरे जोशों खरोश के साथ
मनाया जाता है। आपको बता दें मकर संक्रांति से एक दिन पहले ही मनाया जाता है लोहड़ी का
त्योहार। वहीं, हमारे हिंदू धर्म के अनुसार से भी यह पर्व काफी महत्वपूर्ण है और इसे देश के
अलग-अलग हिस्स्सों में अलग-अलग तरीकों और मान्यताओं के साथ मनाया जाता है।
लोहड़ी पर्व क्या है -
दरअसल, लोहड़ी का त्योहार एक तरह से खुशियाँ बांटने का त्योहार माना गया है जिसमें लोग
शाम को अपने-अपने घरों के बाहर अलाव जलाते है और फिर सभी इकट्ठा होकर आग के
किनारे बैठ कर इस त्यौहार का आनंद उठाते हैं और इसके साथ ही रेवड़ी, मूंगफली और गजक
आदि लोगों के बीच बांटकर खाया जाता है।
लोहड़ी की पूजा-विधि -
हर त्योहार की तरह लोहड़ी की भी अपनी पूजा विधि है। बता दें कि लोहड़ में अग्नि को ही
मुख्य देवता माना जाता है और इसलिए तिल से अग्नि की पूजा की जाती है। यही नहीं, पूजा
के बाद अग्नि के चारों ओर गीत गाये जाते है और खुशी के इस पल में नाचा भी जाता है।
जहां एक ओर बड़े बुजुर्ग लोहड़ी मनाने की महत्ता से रूबरू होंगे तो दूसरी ओर आज की पीढ़ी
इस त्यौहार के बारे में इतना कुछ शायद ही जानती होगी।
आज वेद संसार आपको बताने जा रहा है की आखीर क्यों मनाया जाता है लोहड़ी का त्यौहार -
ऐसी मान्यता है कि हिन्दू धर्म में लोहड़ी से संबद्ध परंपराओं एवं रीति-रिवाजों से जुड़ी
प्रागैतिहासिक गाथाएँ भी हैं। दरअसल, दक्ष प्रजापति की पुत्री सती के योगाग्नि-दहन की याद में
ही यह अग्नि को लोग जलाते हैं और उसके चारो ओर पूजा करते हैं। बता दें कि इस शुभ
अवसर पर विवाहिता पुत्रियों को माँ के घर से ‘त्योहार’ (वस्त्र, मिठाई, रेवड़ी, फल आदि) भेजा
जाता है।
यज्ञ के समय अपने जामाता शिव का भाग न निकालने का दक्ष प्रजापति का प्रायश्चित्त भी
इसमें आसानी से दिखाई पड़ता है। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में ‘खिचड़वार’ और दक्षिण भारत के
‘पोंगल’ पर भी-जो ‘लोहड़ी’ के समीप ही मनाए जाते हैं-बेटियों को भेंट जाती है।
बात अगर पंजाबी समुदाय की करें तो लोहड़ी पर्व विशेष महत्व रखता है। इस दिन घर के सभी
बच्चे टोलियाँ बनाकर दूसरों के घर-घर जाकर लकड़ियाँ इकठ्ठा किया करते हैं और रात को
होलिका दहन की तरह ही लकड़ियों को जलाकर खूब भंगड़ा किया जाता है गीत भी गाए जाते
हैं।
यही नहीं, पंजाब प्रान्त में भी लोहड़ी के पर्व को लेकर एक कथा खूब लोकप्रिय है की मुग़ल
काल में दुल्ला भट्टी नामक युवक पंजाब लड़कियों की रक्षा किया करता था। दूसरी ओर मुगलों
के आतंक में बहुत सी लड़कियों को अमीर सौदागरों को बेचा जा रहा था और दुल्ला भट्टी ने
इन लड़कियों को आजाद करवा कर उनकी शादी हिन्दू समाज में करवाई थी।
जान लें कि लोहड़ी के खास मौके पर लोग दुल्ला भट्टी को एक नायक के तौर पर याद किया
करते है और गीत गाते हैं। किसानों के लिए भी यह त्योहार काफी महत्वपूर्ण होती है और
किसान रबी की फसल आने की खुशी में देवताओं का शुक्रिया अदा करते हैं और जश्न मनाते
हैं।
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