गुरु सों प्रीति निबाहिये | Kabir Ke Dohe | Sant Kabir Das Vani |Guru Bhakti
Автор: kabir Das Bhajan
Загружено: 2025-12-14
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गुरु सों प्रीति निबाहिये Kabir Ke Dohe Sant Kabir Das Vani Guru Bhakti
🌸 प्रस्तावना
संत कबीर दास जी भारतीय संत परंपरा के महान कवि और विचारक हैं। उनकी वाणी सरल होते हुए भी गहन आध्यात्मिक संदेश देती है। “गुरु सों प्रीति निबाहिये” दोहा हमें गुरु भक्ति का महत्व समझाता है। कबीर कहते हैं कि गुरु ही वह प्रकाश है जो अज्ञान के अंधकार को दूर करता है और आत्मा को ईश्वर से जोड़ता है।
🕉️ दोहे का मूल भाव
गुरु सों प्रीति निबाहिये, गुरु सों करिये प्रीति।
गुरु बिन कौन बतावै, भवसागर की रीति॥
कबीर कहते हैं कि गुरु से प्रेम और श्रद्धा बनाए रखना चाहिए।
गुरु ही वह मार्गदर्शक है जो हमें भवसागर से पार कराता है।
बिना गुरु के, साधक सही मार्ग नहीं पा सकता।
🌼 आध्यात्मिक संदेश
गुरु का महत्व: गुरु ही वह दीपक है जो अज्ञान के अंधकार को मिटाता है।
भक्ति का आधार: गुरु भक्ति ही सच्ची ईश्वर भक्ति का द्वार है।
साधक का मार्ग: गुरु के बिना साधना अधूरी है।
📚 कबीर के दोहे और जीवन दर्शन
कबीर ने समाज को दिखाया कि गुरु ही जीवन का सच्चा मार्गदर्शक है।
उनके दोहे हमें मोह‑माया से दूर रहकर सत्य और प्रेम के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।
“गुरु सों प्रीति निबाहिये” हमें यह सिखाता है कि गुरु भक्ति ही आत्मिक उन्नति का आधार है।
🎶 संत कबीर दास वाणी का प्रभाव
कबीर की वाणी सुनने से मन निर्मल होता है।
यह वाणी हमें आत्मा की गहराई तक ले जाती है।
कबीर के भजन और दोहे आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं।
🌍 आधुनिक संदर्भ
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग गुरु के महत्व को भूल जाते हैं।
कबीर का यह दोहा हमें याद दिलाता है कि गुरु ही जीवन का सच्चा मार्गदर्शक है।
डिजिटल युग में कबीर की वाणी हमें आत्मचिंतन और भक्ति का मार्ग दिखाती है
✨ निष्कर्ष
संत कबीर दास का यह अमूल्य दोहा हमें जीवन की गहराई का बोध कराता है। गुरु ही वह मार्गदर्शक है जो हमें भवसागर से पार कराता है। गुरु भक्ति ही आत्मिक उन्नति का आधार है। यही सच्चा मार्ग है और यही जीवन का आधार है
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