सूरज का जन्म कब हुआ when was the sun born सूरज का अंत कब हुआ when did the sun end
Автор: Real science00
Загружено: 2025-02-02
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• ब्रह्मांड के अनसुलझे रहस्य unsolved myster...
#दोस्तों हमारा सूरज पृथ्वी पर बसे हर जीव का जीवन दाता है हमारे सूर्य के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है इसकी गैर मौजूदगी में धरती पर अंधेरा हो जाएगा पूरी धरती बर्फ के ढेर में डब जाएगी सूर्य के ऊष्मा के बिना अस्तित्व ही संभव है लेकिन लगभग साढ़े चार अरब चलता से आ रहा दौर क्या हमेशा के लिए चलेगा क्या सूर्य सूर्यमंडल का अस्तित्व हमेशा के लिए टीका रहेगा क्या सूर्य हमेशा के लिए प्रकाशित रहेगा या फिर कभी उसका अंत होगा आइए इन सब सवालों का जवाब जानते है तो आइए देखते है हमारे सूर्य का उत्सर्जन कैसे हुवा सूर्य का निर्माण आज से लगभग साढ़े चार अरब सव पहले हुवा था हजारों प्रकाश वस्तु फैला महाकाय अर्गुनिक मलिकुलर गैस के बादल के बड़े हिस्से के ढह जाने से हमारे पूरे सौरमंडल की रचना हुई सूर्य और सौरमंडल के अस्तित्व को एक्सपोज करने वाले इस थ्योरी को इस थ्योरी का नाम है न्यूक्लियर थ्योरी इस थ्योरी के अनुसार उस विशाल बादल एक या उससे अधिक सुपरनोवा अवश्य हुए होंगे जिसके कारण उस बड़े गैस के बादल के ढह जाने या बिखर जाने से उसे बदल में मौजूद उसका रो मटेरियल उससे अलग हो गया धीरे-धीरे उस गैस के बादल के कुछ हिस्सा गति और दबाव की वजह से घूमना शुरू हुआ और रफ्तार से गर्म होने लगा रफ्तार और घुमाव की वजह से उसका एक बड़ा हिस्सा मध्य केंद्र में घटित हुआ और बाकी का हिस्सा उसके आसपास सर्कल में घूमता रहा यह पूरी घटना होने में ही करोड़ों साल लग गए और कई समय बीत जाने से धीरे-धीरे टेंपरेचर थोड़ा गिरा हाइड्रोजन और हीलियम वाले बीच का भाग हमारे सूर्य के रूप में अस्तित्व में आया उसके आसपास घूमने वाले रो मटेरियल से हमारी पृथ्वी अन्य ग्रह उपग्रह सौरमंडल छोटे बड़े ग्रह अन्य अस्तित्व में आए इस तरह सूर्य और ग्रह उपग्रह सबको मिला कर हमारा सौरमंडल बना सूर्य हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा पिंड है दरसल धरती सूर्य अन्य ग्रहों से अलग है वास्तव में ओ एक तारा है हमारी आकाश गंगा के सव अरब अधिक में से एक तारा सूरज जी टू केटेगरी का तारा है जो आकाशगंगा के दश फ़ीसदी में से एक है जैसे हमारी पृथ्वी और अन्य ग्रह सूरज की परिक्रमा करते हैं ठीक वैसे ही सूर्य हमारी पृथ्वी सहित संपूर्ण सौरमंडल को लेकर हमारी आकाश गंगा मध्य पाक का परिक्रमा कर रहा है हमारे सौरमंडल के सभी ग्रहों को हमारी आकाश गंगा की परिक्रमा करने में लगभग पच्चीस करोड़ साल लग जाते हैं सूर्य मंडल में सबसे ज्यादा द्रव्यमान हमारे सूर्य का ही है उसका व्यास तेरह लाख 92 हजार किलोमीटर व्यास है सूर्य हमें देखने में इतना बड़ा नहीं लगता असल में पृथ्वी से सूरज दश लाख गुना बड़ा है सूरज धरती से पंद्रह लाख करोड़ किलोमीटर दूर है इतनी अंतर से सूरज की रोशनी को पृथ्वी पर पहुंचने में महज 8 मिनट सोरह सेकंड लग जाते हैं सूर्य मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम से बना एक गोल है सूरज के सतह का निर्माण हाइड्रोजन हीलियम ऑक्सीजन लोहा सिलिकॉन सल्फर मैग्नीशियम कार्बन क्रोमियम तत्व से हुआ है सूर्य के अंदर केंद्र भाग को कोर कहा जाता है जहां पर टेंपरेचर अपनी चरम सीमा पर होता है उसके कोर भाग का टेंपरेचर एक करोड़ छप्पन लाख डिग्री सेल्सियस होता है जबकि सूर्य की सतह जो हमें दीप मन हमेशा प्रकाशित उसका तापमान लगभग छ हजार डिग्री सेल्सियस तक रहता है सूरज का अंत लगभग चार साढ़े चार अरब पहले जन्मा हमारा सूरज हर सेकंड छ लाख पांच सव सत्तर हजार टन हाइड्रोजन छ लाख पांच सव तीस हजार टन हीलियम में ट्रांसफर करता है दोनों आंकड़े दफावत को मार्के करिए दोस्तो चालीस लाख टन हाइड्रोजन को हीलियम में रूपांतरण होता ही नहीं बल्कि बल्कि हीलियम की जगह ऊर्जा में रूपांतरित होता है ओ ऊर्जा अंतरिक्ष में चारों ओर फैल जाती है ऐसे सूर्य हर सेकंड अपना पदार्थ घूम रहा है लेकिन आखिर ऐसा कब तक चलेगा तो इस प्रश्न का जवाब यह है दोस्तों तो ऐसा लगभग पांच अरब साल चलेगा उसके बाद सूर्य के केंद्र पर का हाइड्रोजन समाप्त हो जाएगा जिससे सूरज पर का केंद्र का तापमान अपनी हद पार कर लेगा और धीरे-धीरे फुलने लगेगा और वह जब अब है लगभग सव गुना ज्यादा बड़ा हो जाएगा अगर कोई तारा ऐसे फूलने लगे तो उसे रेड जॉइन कहते हैं हमारा सूरज भी एक दिन रेड जॉइन जाएं हो जाएगा सूर्य के इतने फूल जाने से उसका व्यास इतना बढ़ जाएगा की बुध और सुख ग्रह को सबसे पहले अपने अंदर समा लेगा और उसके बाद आएगी हमारी धरती की बारी तब तक इंसानों सहित धरती पर सृष्टि सहित नाश हो गया होगा और करोड़ों साल पश्चात सूर्य में हाइड्रोजन के बदले हीलियम ही बचा होगा ओ हीलियम कार्बन में रूपांतरित होना शुरू हो जायेगा इसलिए सूर्य अभी भी और ज्यादा फूलेगा धीरे-धीरे बाहरी छल की तरह उखड़ कर अंतरिक्ष में बिखर जाएंगे आखिर में एक गुठली जैसा अंतरिक्ष भाग बचेगा वह भाग आज के समय पृथ्वी जितना होगा फिर भी उसमें इतनी गर्मी होगी कि कोई सीमा नहीं भौतिक निस्नाथ जिसे वाइट डॉपट कहते हैं इस तरह हमारे सूर्य को श्वेत वामन का स्वरूप मिलेगा धीरे-धीरे वह हम वामन सूर्य भी अपने टेंपरेचर और गर्मी को घुमा देगा अंत में बुझ कर एक काले कोयले के समान हो जाएगा इस तरह धरती पर जीव सृष्टि के अंत कर देने के बाद हमारे सूर्य का भी अंत हो जाएगा यह सब होने में अभी पांच अरब साल लग जाएंगे ब्रह्मांड में अभी कई सूर्य से पहले जन्मे तारों का अंत हो चुका है कोई रेड जॉइन हुए है कोई कोई स्वेट वामन बन चुके हैं कहीं तो बुझे हुए कोयले इसके साथ ही साथ ब्रह्मांड में कई और तारे जन्म ले रहे हैं ऐसे ही हमारे ब्रह्मांड में सर्जन की विनाश की और पुनः नए सृजन की क्रिया अभिरत रूप से चलती रहेगी तो दोस्तों आज का एपिसोड कैसा लगा हमें जरूर कमेंट करें अच्छा लगा हो तो लाइक करें सब्सक्राइब करें धन्यवाद दोस्तों मिलते हैं अगले वीडियो में#
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