रामराज्य से परम वैभव तक: विकसित भारत का असली रास्ता
Автор: Dil Se Deshi
Загружено: 2025-10-07
Просмотров: 170
Описание:
भारत सदियों से एक ऐसे आदर्श की खोज में है जहाँ हर नागरिक सुखी, स्वस्थ, और भयमुक्त जीवन जी सके।
आज हम जिस “विकसित भारत”, “विश्वगुरु भारत”, “हिंदू राष्ट्र”, या “परम वैभव” की बात करते हैं — उसका वास्तविक रूप तो रामराज्य में ही निहित है।
क्योंकि रामराज्य केवल धार्मिक कल्पना नहीं, बल्कि समाज, शासन और नैतिकता की सर्वोच्च व्यवस्था थी — जहाँ न्याय, नीति, शिक्षा और संस्कार मिलकर एक आदर्श राष्ट्र का निर्माण करते थे।
🌺 रामराज्य की परिभाषा – केवल कल्पना नहीं, एक प्रणाली
रामराज्य में “दैहिक, दैविक, भौतिक ताप” किसी को नहीं सताते थे।
लोग शारीरिक रूप से स्वस्थ थे, मानसिक रूप से संतुलित, और आर्थिक रूप से समृद्ध।
किसी के पास अभाव नहीं था, कोई भूखा नहीं था, कोई दरिद्र नहीं था।
सब लोग “स्वधर्म निरत” थे — यानी हर कोई अपने कर्तव्य का पालन करता था।
पिता पिता धर्म निभा रहा था, पुत्र पुत्र धर्म निभा रहा था, और सास-बहू से लेकर राजा-प्रजा तक सब अपने कर्तव्यों के प्रति सजग थे।
रामराज्य का अर्थ केवल मंदिरों की स्थापना नहीं था, बल्कि राम की नीति का पालन था —
जहाँ हर व्यक्ति परस्पर प्रेम, अनुशासन और भय (कानून का डर) में संतुलन बनाकर चलता था।
⚖️ रामराज्य बनाम आधुनिक भारत
आज हम “विकसित भारत” का सपना देखते हैं, पर सवाल यह है कि —
क्या केवल मंदिर निर्माण या आर्थिक विकास से परम वैभव प्राप्त हो जाएगा?
या हमें रामराज्य के मूल सिद्धांतों — संस्कार और कानून के खौफ — को फिर से अपनाना होगा?
क्योंकि दिल्ली, कश्मीर, अमरोहा, बरेली में दंगे होते हैं,
लेकिन दुबई, सिंगापुर, जापान, अमेरिका में नहीं होते।
क्यों?
क्योंकि वहाँ राम मंदिर नहीं, लेकिन राम नीति है।
वहाँ कानून का भय है, अनुशासन है, और न्याय व्यवस्था सशक्त है।
भारत में मंदिर हैं, लेकिन नीति गायब है।
इसलिए यहाँ धर्म बचा है, पर डर और अनुशासन खो गया है।
📚 शिक्षा में संस्कार और कानून में खौफ – परम वैभव का रास्ता
वक्ता कहते हैं —
“शिक्षा में संस्कार हो और कानून में खौफ हो तो रामराज्य संभव है।”
अगर हमारे बच्चे आर्यभट्ट, नागार्जुन, चरक, सुस्रुत जैसे महान वैज्ञानिक हमारे गुरुकुलों से निकल सकते थे,
तो आज के मॉडर्न और मिशनरी स्कूलों से क्यों नहीं निकल पा रहे?
क्योंकि हमारी शिक्षा व्यवस्था भारतीय मूल्यों से कट चुकी है।
आज जरूरत है वैन नेशन – वैन सिलेबस, वैन एजुकेशन बोर्ड, और भारतीयकृत शिक्षा नीति की,
जहाँ अमीर-गरीब, मजदूर-मालिक, चारों वर्णों के बच्चे एक साथ पढ़ें।
यही सामाजिक समरसता का मार्ग है, यही रामराज्य की पहली सीढ़ी है।
🏛️ गुलामी की निशानियाँ और आज का संविधान
संविधान का उद्देश्य था —
“हम एक संप्रभु राष्ट्र बनाएंगे जहाँ गुलामी का कोई निशान नहीं रहेगा।”
लेकिन आज भी हम अकबर रोड, लोधी रोड, खान मार्केट, तुगलक रोड जैसी गुलामी की पहचान लिए बैठे हैं।
जब मुगल आए तो मदरसे आए, जब मुगल चले गए तो क्या मदरसे जाने चाहिए थे?
जब अंग्रेज गए तो क्या मिशनरी स्कूल भी नहीं जाने चाहिए थे?
अब समय है कि भारत अपनी पहचान वापस ले —
भारतीय नामकरण आयोग बने, भारतीय शिक्षा नीति बने, और भारतीय मूल्य लौटें।
🔱 रामराज्य में समानता और नीति
रामराज्य में न तो गरीबी थी, न अपराध, न अन्याय।
क्योंकि वहाँ केवल भक्ति नहीं थी, नीति भी थी।
कानून इतना सशक्त था कि अपराध करने से पहले ही व्यक्ति रुक जाता था।
जैसे कोरोना काल में लोग डर से अपराध नहीं कर रहे थे —
वैसे ही जब संस्कार और खौफ दोनों संतुलित होंगे, तो समाज में स्वाभाविक शांति और नीति आएगी।
💡 परम वैभव का सूत्र
शिक्षा में संस्कार हो, कानून में खौफ हो — तो विकसित भारत बनेगा।
शिक्षा में संस्कार हो, कानून में खौफ हो — तो विश्वगुरु भारत बनेगा।
शिक्षा में संस्कार हो, कानून में खौफ हो — तो हिंदू राष्ट्र बनेगा।
शिक्षा में संस्कार हो, कानून में खौफ हो — तो रामराज्य फिर से स्थापित होगा।
रामराज्य केवल इतिहास नहीं — भारत के भविष्य की दिशा है।
वही भारत का परम वैभव है।
#RamRajya #ParamVaibhav #ViksitBharat #HinduRashtra #WorldGuruIndia #IndianCulture #SanatanDharma #EducationReform #IndianValues #BharatiyaShiksha #LawAndOrder #RamMandir #IndianFuture #NationalAwakening #India2047
Повторяем попытку...
Доступные форматы для скачивания:
Скачать видео
-
Информация по загрузке: