माँ भद्रकाली शक्तिपीठ कुरुक्षेत्र | यहाँ गिरा था माता सती के दाहिने पैर का टखना | 4K | दर्शन 🙏
Автор: Tilak
Загружено: 2023-10-11
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ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी, दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते !! हे माँ जगदम्बे आपके इन सभी स्वरूपों को हमारा नमन. माँ आदिशक्ति जगदम्बा इस ब्रह्माण्ड के कण के कण में विराजमान हैं. वो प्रक्रति हैं, वो शक्ति हैं, इस संसार की हर वो चीज़ जिसमे जीव है, उसके जन्म का आधार जगत्जननी करुणामयी माँ आदिशक्ति ही हैं. भक्तों, इस कार्यकम के माध्यम से हमने आपको माँ शक्ति के कई पवित्र स्थलों के दर्शन करवाए, और इसी के साथ आज हम आपको दर्शन करवाने जा रहे हैं माता के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ तथा वो स्थान जहाँ भगवान् श्री कृष्ण एवं बलराम जी का मुंडन संस्कार हुआ, वो स्थान जहाँ पर देवी की आराधना से पांडवों को महाभारत के युद्ध में विजय मिली. और वो पवित्र स्थल है “श्री देवीकूप माँ भद्रकाली” शक्तिपीठ मंदिर.
भक्तों, माता शक्ति के सती रुपी अवतार से सम्बंधित एक सुप्रसिद्ध पौराणिक कथा के अनुसार – एक बार जब माता सती अपने पिता दक्ष प्रजापति के यग्य में बिना निमंत्रण के एवं अपने पति महादेव भोलेनाथ के बहुत रोकने के बाद भी चली गयीं. तो भगवान् शिव से अत्यधिक घृणा के कारण राजा दक्ष ने देवी सती के सम्मुख भरी यग्य सभा में भगवान् शिव के प्रति कटु वचन कह कर उनका घोर अपमान किया. जिसे देवी सती सह न सकीं और उन्होंने उसी हवन कुंड में अपने शरीर का त्याग कर दिया. जिसके पश्चात महादेव ने क्रोध में अपने गण वीरभद्र द्वारा दक्ष प्रजापति के यग्य का विध्वंस कर दिया तथा वीरभद्र ने दक्ष के अहंकार रुपी सिर को धड़ से अलग कर दिया. जिसको बाद में सभी देवताओं की क्षमा प्रार्थना पर महादेव ने बकरे का सिर लगाकर दक्ष को पुनः जीवनदान दिया. क्रोध एवं पीड़ा से भरे महादेव देवी सती के मृत शरीर को अपने हांथों में लिए पूरे ब्रह्माण्ड में भटकने लगे. उस समय हर तरह प्रलय का वातावरण था. महादेव की पीड़ा, क्रोध में उनके तांडव से ब्रह्माण्ड के हर जीव में उसके अंत का भय दिख रहा था. उस समय भगवान् विष्णु ने लोक कल्याण एवं भगवान् शिव को उस पीड़ा से मुक्त करने के लिए देवी सती के मृत शरीर पर अपना सुदर्शन चक्र चलाया, जिससे उनके शरीर के विक्षिन्न अंग, आभूषण, कपड़े पृथ्वी पर जहाँ जहाँ गिरे वो स्थान शक्तिपीठ के रूप में पूजित हुए. कहा जाता है ऐसे 108 शक्तिपीठ हैं जिसमें से 51 मुख्य शक्तिपीठ हैं.
इस प्रकार से माता सती के दाहिने पैर का टखना अर्थात घुटने के नीचे के पैर का हिस्सा एक कूप अर्थात कुएं में गिरा, वो स्थान है हरियाणा के कुरुक्षेत्र नगर में द्वैपायन सरोवर के समीप, जहाँ स्थित है भव्य “श्री देवीकूप भद्रकाली मंदिर”. जिसके दर्शन आज हम आपको करवा रहे हैं. वामन पुराण व ब्रह्मपुराण आदि ग्रंथों में कुरुक्षेत्र के सदंर्भ में चार कूपों का वर्णन आता है। जिसमें चंद्र कूप, विष्णु कूप, रुद्र कूप व देवी कूप हैं। श्रीदेवी कूप माता भद्रकाली शक्तिपीठ का स्थान है. लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र माँ भगवती का यह स्थान अपने दरबार में आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है.
मंदिर के बाहर ही स्थित प्रसाद की दुकान से माता को अर्पित करने की पूजा सामग्री एवं भोग प्रसाद की वस्तुएं लेकर श्रद्धालु मंदिर के भव्य द्वार में प्रवेश करते हैं. मंदिर में प्रवेश करते ही बहुत ही सुंदर दृश्य सामने आता है. जहाँ एक कूप के समीप एक अत्यंत सुंदर कमल का फूल स्थापित किया गया है तथा उसके ऊपर माता सती के दाहिने पैर के प्रतिकृति स्वरुप संगमरमर का पैर स्थापित किया गया है. मान्यता है इसी कूप में देवी सती के घुटने के नीचे का हिस्सा गिरा था. यहाँ माँ दुर्गा की एक सुंदर प्रतिमा के भी दर्शन होते हैं. माता की प्रतिमा के चारों ओर घोड़े की मूर्तियों को भी स्थापित किया गया है. इस सुंदर दृश्य के दर्शन करते हुए श्रद्धालु मंदिर के गर्भग्रह की ओर बढ़ते हैं.
यह मंदिर माँ काली को समर्पित है अतः मंदिर के गर्भग्रह में माँ काली के भद्रकाली स्वरुप की प्रतिमा विराजमान हैं. माता के इतने सुंदर करुणामयी रूप के दर्शन कर भक्त भाव विभोर हो उठते हैं. माता अपने द्वार पर आये अपने सभी बच्चों पर अपनी कृपा दृष्टि बरसाती हैं. गर्भग्रह के बाहर ही एक ओर भैरव बाबा तथा दूसरी ओर भगवान् गणेश की प्रतिमा विराजमान है. यहाँ एक ओर दक्षिणमुखी हनुमान जी की प्रतिमा भी विराजमान है. भक्तगण इन सभी के दर्शन करने के पश्चात मंदिर प्रांगण में स्थित अन्य देवी देवताओं के भी दर्शन करते हैं. मंदिर प्रांगण में एक तरफ भगवान् भोलेनाथ शिवलिंग स्वरुप में स्थापित हैं जहाँ देवी पार्वती, भगवान् गणेश , कार्तिकेय जी एवं नंदी जी भी विराजमान हैं. यहाँ माता वैष्णोदेवी के पिंडी व सौम्य दर्शन की एक गुफा भी बनी हैं. जहाँ माता वैष्णो की सुंदर प्रतिमा व पिंडी स्वरुप विराजमान है. गुफा से निकलने के बाद एक स्थान पर महादेव के उस दुखद एवं क्रोध रूप प्रतिमा के दर्शन होते हैं जिसमें महादेव देवी सती के मृत शरीर को अपने हांथो में लिए हुए हैं तथा वहीँ भगवान् विष्णु भी विराजमान हैं. मंदिर में माता लक्ष्मी एवं माता सरस्वती जी की सुंदर प्रतिमाएं भी विराजमान हैं. इन सभी देवी देवताओं के दर्शन कर श्रद्धालु मंदिर परिसर के दिव्य वातावरण में कुछ समय अवश्य व्यतीत करते हैं. माता का यह मंदिर अपनी सुंदर कलाकृति एवं बनवत से भी सभी भक्तों के मन को मोह लेता है. यहाँ के स्तंभों एवं दीवारों पर उकेरी गयी सुंदर नक्काशी बहुत ही आकर्षक प्रतीत होती है.
श्रेय:
लेखक - याचना अवस्थी
Disclaimer: यहाँ मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहाँ यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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