जो हर दिन दर्द से गुजरता है वो चैंपियन बनता है | Harshvardhan Jain | 7690030010
Автор: Harshvarrdhan Jain
Загружено: 2024-10-04
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He who possesses a magnetic mind attracts success, faith, and dreams, draws people in, and builds a leadership that inspires followers worldwide.
जो व्यक्ति हर दिन अभ्यास की सीमाएं तोड़ देता है, वही चैंपियन होता है। जो घोड़ा हर दिन दौड़ने की आदत बना लेता है, वही रेस में चैंपियन घोड़ा होता है। घोड़े एक दिन में घोड़े नहीं बनते हैं, बल्कि लगातार प्रयास और अभ्यास करने से ही घोड़े बनते हैं, चैंपियन बनते हैं और विजेता बनते हैं। जो व्यक्ति अपने प्रतिदिन के कार्य में लगातार प्रयास, अभ्यास और अनुसंधान करने का साहस और सामर्थ्य दिखाता है, वही सफल होता है और अनुसरण के योग्य होता है। जब कोई पत्थर धीमे-धीमे चोट खाने की आदत बना लेता है, तब मूर्ति का रूप लेता है और जब मूर्ति अपना वास्तविक स्वरूप ग्रहण करती है, तब सभी के सिर आस्थावश झुक जाते हैं। उसी प्रकार, सफल व्यक्ति प्रतिदिन स्वयं को तराशता रहता है और निखारता रहता है, जिसके कारण एक दिन उसकी सफलता की चमक, उसके व्यक्तित्व की चमक और उसकी अदृश्य ऊर्जा की चमक पूरी दुनिया में सूरज के समान छा जाती है।
यदि आपने दर्द सहा है, तो दर्द को दूर करने का उपाय भी खोज लेंगे और जब उपाय मिलता है, तब संपूर्ण जनमानस का चुंबक आपके हाथों में होता है और जिसके पास चुंबक होता है; वही सफलता को आकर्षित करता है, विश्वास को आकर्षित करता है, सपनों को आकर्षित करता है, लोगों को आकर्षित करता है और एक ऐसी लीडरशिप का निर्माण करता है, जिसके अनुयायी पूरी दुनिया में होते हैं। इसलिए जब भी आपको कोई मार्ग कठिन लगता है, तो कठिनाई से पीछे न हटें। यदि एक बार आपने उस कठिनाई के रास्ते पर चलना प्रारंभ कर दिया, तो आपकी कठिनाइयां आपकी शक्तियां बन जाएंगी और जिसके पास शक्तियां होती हैं, वही शक्तिशाली कहलाता है। दुनिया में ज्ञान सर्वोपरि होता है; लेकिन ज्ञान से भी सर्वोपरि अनुभव को माना जाता है क्योंकि अनुभव एक ऐसा स्तर है, जो अपने आप में एक सिद्धांत बन जाता है। यही सिद्धांत रूपी अनुभव लोगों के मार्गदर्शक बनते हैं। जिससे लोगों को सफलता के मार्ग में आने वाली कठिनाईयों का आभास होता है और यही आभास उन्हें पूर्व निर्धारित योजना पर कार्य करने के लिए प्रेरित भी करता है और सामर्थ्यवान भी।
दुनिया के महानतम लोगों ने एक दिन में महानता के शिखर को नहीं छुआ, बल्कि हर दिन महानता की लकीर खींचने का प्रयास किया, महानता का चरित्र विकसित करने का प्रयास किया, महान मानसिकता विकसित करने का प्रयास किया, महान आदतें विकसित करने का प्रयास किया और महान त्याग के मार्ग से गुजरे। जिससे उन्हें महान अवसरों की प्राप्ति हुई। यही महान अवसर महानता की सीढ़ी बन जाते हैं। जिनको देखने के लिए केवल महान नेत्रों की आवश्यकता होती है। प्रत्येक व्यक्ति के अंदर एक महान व्यक्तित्व छिपा होता है। यदि आपने अपने अंदर के महान व्यक्तित्व को उभारने का प्रयास किया, तो एक दिन निश्चित ही महानता का दीपक आपके अंदर प्रज्वलित होकर पूरी दुनिया को महानता के प्रकाश से भर देगा। इसलिए अपनी सीमाओं को छोटी मानसिकता के कंफर्ट जोन में न बांधिए। उन्हें बेलगाम घोड़े की तरह छोड़ कर देखिए, आपकी सीमाएं महान सीमाओं का निर्माण कर लेंगी। जिस प्रकार गौतम बुद्ध ने अपने अंदर की आध्यात्मिक अग्नि को प्रज्वलित करके स्वयं को प्रकाशमय बना दिया। जिससे उन्हें लोगों के अंदर फैले दुख, निराशा और चिंता के अंधकार को दूर करने का प्रयास करने में सफलता मिली। जिसके फलस्वरूप उन्हें भगवान बुद्ध के नाम से जाना गया। इसका अर्थ यह है कि आपके अंदर भी शक्ति और सामर्थ्य दोनों विराजमान हैं। जरूरत सिर्फ उन्हें जगाने की है।
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