अंबा का प्रतिशोध। भीष्मपितामह की मृत्यु का कारण? Amba ka pratishodh. Bheeshm Pitamah ki mrityu?
Автор: Katha Bharti
Загружено: 2020-04-26
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बदला लेने को लिया फिर से जन्म
मृत्यु के बाद अम्बा ने वत्सदेश के राजा की कन्या के रूप जन्म धारण किया. इस जन्म में भी उसे पूर्वजन्म की सारी बातें पूरी तरह से याद थीं और उसने फिर से भीषण तप शुरू कर दिया और शिव से देवव्रत को पराजित करने का वर मांग लिया.
शिव के वरदान के अनुसार, अम्बा फिर से जन्म धारण कर देवव्रत से अपना प्रतिशोध ले सकेंगी. साथ ही कन्या रूप में जन्म लेने के बाद युवा होने पर वह पुरुष का रूप ले लेगी. इस वरदान के चलते वह देवव्रत को युद्ध के लिए ललकार सकती थीं.
उधर, देवव्रत स्त्री से युद्ध न करने के अपने प्रण में बंधे थे.
भीष्म ने खुद ही ‘लीक की जानकारी’
महाभारत युद्ध में भीष्म कौरवों के सेनापति थे और पांडवों की सेना पर लगातार प्रहार कर रहे थे. श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उन्हें रोकने भेजा, लेकिन अर्जुन भीष्म पितामह से लड़ने में झिझक रहे थे. जब श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाया, तो भी कोई परिणाम नहीं निकला.
भीष्म के आगे अर्जुन की एक न चल रही थी.
अर्जुन ने थककर श्रीकृष्ण से भीष्म पितामह को हराने का उपाय पूछा . श्रीकृष्ण ने कहा, भीष्म स्वयं ही बता सकते हैं कि आखिर उन्हें कैसे पराजित किया जाए.
इसी कड़ी में सूर्यास्त होने पर युद्ध विराम होते ही श्रीकृष्ण अर्जुन के साथ पितामह के शिविर में मिलने पहुंचे. वहां उन्होंने खुद भीष्म से उन्हें पराजित करने के उपाय पूछे.
भीष्म पितामह ने धर्म का पक्ष जानकर शिखंडी के बारे में सविस्तार बताया.
और शिखंडी बना भीष्म का काल
दरअसल, अम्बा इस तीसरे जन्म में राजा द्रुपद के यहां पुत्री रूप में जन्म लिया और बाद में युवा होने पर पुरुषत्व को प्राप्त कर लिया था.
बताते चलें कि महाभारत में भीष्म पितामह कौरवों की तरफ से लड़ रहे थे. चूंकि, वे एक अजेय योद्धा थे, इस कारण पांडवों के लिए चिंता का विषय बने हुए थे. वह उस उपाय की खोज में थे, जिसकी मदद से भीष्म पितामह को रोका जा सके!
अंततः शिखंडी को अर्जुन के साथ भीष्म पितामह को चुनौती देने भेजा गया.
चूंकि, शिखंडी ने द्रुपद नरेश के यहां पुत्री रूप में जन्म लिया था और जन्म से स्त्री शिखंडी के सामने भीष्म शस्त्र नहीं उठा सकते थे. उनके आदर्श उनको ऐसा करने की इजाजत नहीं दे रहे थे. यही कारण रहा कि युद्ध स्थल में भीष्म पितामह ने अपने हथियार डाल दिए.
फिर अर्जुन ने इसका फायदा उठाकर भीष्म पितामह पर बाणों की वर्षा शुरू कर दी. परिणाम यह रहा कि शीघ्र ही भीष्म बाणों की शैया पर लेट गए और कराहने लगे. असह्य पीड़ा होने के बावजूद भीष्म इच्छा मृत्यु के कारण बचे रहे.
हालांकि बाद में युद्ध की समाप्ति तथा हस्तिनापुर की स्थिरता को देखने के बाद उन्होंने मृत्यु का वरण कर लिया था. इस तरह अम्बा भीष्म की मृत्यु का कारण बनकर अपने प्रतिशोध को पूरा करने में सफल रही.
Bheeshm Parshuram Sangram
भीष्मपितामह परशुराम संग्राम
अंबा का प्रतिशोध
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