पहली कठिनाई डर और संदेह कहानी | Motivational Story In Hindi Story ||बुद्धिस्ट स्टोरी हिंदी |
Автор: RIYANSH ENTERTAINMENT STORY
Загружено: 2024-10-30
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पहली कठिनाई डर और संदेह कहानी | Motivational Story In Hindi Story ||बुद्धिस्ट स्टोरी हिंदी |
रामनिहाल अपना बिखरा हुआ सामान बाँधने में लगा। जँगले से धूप आकर उसके छोटेसे शीशे पर तड़प रही थी। अपना उज्ज्वल आलोकखण्ड, वह छोटासा दर्पण बुद्ध की सुन्दर प्रतिमा को अर्पण कर रहा था। किन्तु प्रतिमा ध्यानमग्न थी। उसकी आँखे धूप से चौंधियाती न थीं। प्रतिमा का शान्त गम्भीर मुख और भी प्रसन्न हो रहा था। किन्तु रामनिहाल उधर देखता न था। उसके हाथों में था एक कागजों का बण्डल, जिसे सन्दूक में रखने के पहले वह खोलना चाहता था। पढऩे की इच्छा थी, फिर भी न जाने क्यों हिचक रहा था और अपने को मना कर रहा था, जैसे किसी भयानक वस्तु से बचने के लिए कोई बालक को रोकता हो।बण्डल तो रख दिया पर दूसरा बड़ासा लिफाफा खोल ही डाला। एक चित्र उसके हाथों में था और आँखों में थे आँसू। कमरे में अब दो प्रतिमा थीं। बुद्धदेव अपनी विरागमहिमा में निमग्न। रामनिहाल रागशैलसा अचल, जिसमें से हृदय का द्रव आँसुओं की निर्झरिणी बनकर धीरेधीरे बह रहा था।किशोरी ने आकर हल्ला मचा दिया‘‘भाभी, अरे भाभी देखा नहीं तूने, न निहाल बाबू रो रहे हैं। अरे, तू चल भी’’श्यामा वहाँ आकर
संदेह कहानी जयशंकर प्रसाद
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