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विवेचना का उद्देश्य क्या ? Aim of Investigation. Legal Right & Procedure.

विवेचना का उद्देश्य क्या ?

Aim of Investigation

चार्ज शीट

अंतिम आख्या

निष्पक्ष विवेचना

संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार है

पुलिस निष्पक्ष विवेचना कैसे और कब करती है ?

अन्वेषण की परिभाषा

निर्मल सिंह काहलोन बनाम पंजाब राज्य

बाबूभाई बनाम गुजरात राज्य

अजीज बेगम बनाम महाराष्टृ राज्य

डॉ. कुलदीप कौशिक बनाम उ.प्र. राज्य

सकिरी वसु बनाम उ.प्र. राज्य

नूपुर तलवार बनाम सीबीआई

मनोहर लाल शर्मा बनाम मुख्य सचिव

अजय कुमार पांडेय बनाम उ.प्र. राज्य

अनुच्छेद 226

F.I.R.

Автор: L K Gautam Advocate

Загружено: 2021-08-01

Просмотров: 15056

Описание: विवेचना का उद्देश्य (Aim) क्या है ?
इन्वेस्टिगेशन का अर्थ- विवेचना, अन्वेषण, अनुसंधान, तफ्तीश, तहकीकात, विचार -विमर्श, विचार, विचारपूर्वक निर्णय करने की प्रक्रिया, सत्य और असत्य का विचार करने से है |
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 2 (ज ) में अन्वेषण की परिभाषा- अन्वेषण के अन्तर्गत वे सब कार्यवाहियाँ है जो इस संहिता के अधीन पुलिस अधिकारी द्वारा या किसी भी ऐसे व्यक्ति द्वारा जो मजिस्ट्रेट द्वारा इस निमित्त प्राधिकृति किया गया है, साक्ष्य एकत्रित करने के लिए की जाए|
किसी अपराधिक मामले में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 के अन्तर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज होने के पर विवेचना शुरू होती है और धारा 173 के अन्तर्गत रिपोर्ट के साथ पूरी होती है, जो चार्ज शीट के रूप में पुलिस प्रारूप क्रमांक 339 अथवा अंतिम आख्या के रूप में पुलिस प्रारूप क्रमांक 340 हो सकती है| जिस व्यक्ति के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है उसे आरोपी/अभियुक्त के रूप में जाना जाता है| आरोप पत्र से पूर्व अभियुक्त नहीं कहा जा सकता है |
यूपी पुलिस रेगुलेशन की धारा 107 में लिखा है, अन्वेषण अधिकारी को अपने को साक्ष्य अभिलिखित करने वाला लिपिक नहीं मानना चाहिए| उसका कर्तव्य है कि वह देखे और अनुमान करे| उसको स्मरण रखना चाहिए कि सत्यता का पता चलाना उसका कर्तव्य है, केवल दोषसिद्ध प्राप्ति करना नही, उसे किसी व्यक्ति के पक्ष में या उसके विरुद्ध तथ्यों के बारे में दृष्टिकोण नहीं बना लेना चाहिए| उसे विश्वास करने का कारण हो कि अभियुक्त दोषी है, मार्ग से हट कर बचाव के लिए साक्ष्य नहीं खोजना चाहिए किन्तु अपने समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए अभियुक्त को सदैव अवसर देना चाहिए यदि प्रस्तुत की जावे तो ऐसी साक्ष्य पर सावधानी से विचार करना चाहिए|
उपरोक्त से पता चलता है कि विवेचना अधिकारी के लिए आरोपी और शिकायतकर्ता दोनों बरावर है| विवेचना करते समय दोनों पक्षों के मामले पर विचार करना होता है और उसके बाद इस सम्बन्ध में एक निष्पक्ष, निष्कर्ष पर पहुचना होता है | विवेचना में उसे केवल यह साबित करने की आवश्यकता नहीं है कि FIR के आरोप सही है| आवश्यक रूप से लगाए आरोपों का सबूत एकत्रित करना |
अमितभाई अनिलचंद्र शाह बनाम सीबीआई 2013, 6 एससीसी 348 सुप्रीम कोर्ट- जहाँ संविधान के तहत अभियुक्तो के सुनिश्चित अधिकारों की रक्षा करना उतना ही अनिवार्य है जितना कि पीड़ित को न्याय सुनिश्चित करना है | निश्चित रूप से यह कठिन काम है लेकिन कानून की अदालत में समान रुप से निहित अधिकारों के रक्षा करने के लिए अनिवार्य जिम्मेदारी है |
निर्मल सिंह काहलोन बनाम पंजाब राज्य 2009, 1 एससीसी 441 सुप्रीम कोर्ट - एक आरोपी निष्पक्ष विवेचना और निष्पक्ष विचारण का हकदार है तथा अपराध का शिकार व्यक्ति भी निष्पक्ष विवेचना का समान रूप से हकदार है|
बाबूभाई बनाम गुजरात राज्य (2010) 12 एससीसी 254सुप्रीम कोर्ट- विवेचना निष्पक्ष, पारदर्शी और विवेकपूर्ण होनी चाहिए क्योकि यह कानून के शासन की न्यूनतम आवश्यकता है| विवेचना एजेंसी को दागी और पक्षपातपूर्ण तरीके से विवेचना करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है | जहाँ अदालत का हस्तक्षेप न करने का परिणाम अंततः न्याय की विफलता में होगा, अदालत को हस्तक्षेप करना चाहिए|
अजीज बेगम बनाम महाराष्टृ राज्य (2012) 3 एससीसी 126 सुप्रीम कोर्ट- इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में हम पाते है कि देश के प्रत्येक नागरिक को उचित विवेचना का प्राप्त करने अधिकार है| कानूनी ढांचा में विवेचना कानून के तहत कुछ चुनिंदा व्यक्तियों के लिए उपलब्ध नही हो सकती है और दूसरो को इंकार नहीं किया जा सकता है | यह कानूनों के समान संरक्षण का प्रश्न है |
डॉ. कुलदीप कौशिक बनाम उ.प्र. राज्य 2016 (4 ) क्राइम्स 506 इलाहाबाद- मजिस्ट्रेट को विवेचना के निरीक्षण और उचित विवेचना नहीं करने पर हस्तक्षेप की शक्ति है| स्वतंत्र, स्वच्छ और निष्पक्ष विवेचना अभियुक्त का अधिकार है और इस उद्देश्य के लिए मजिस्ट्रेट द्वारा हस्तक्षेप किया जा सकता है|
सकिरी वसु बनाम उ.प्र. राज्य 2008 (60) एसीसी 689 सुप्रीम कोर्ट- मजिस्ट्रेट को पता चलता है कि पुलिस ने अपने कर्तव्य पालन में विवेचना ठीक, संतोजनक नहीं की है तो वह निर्देश जारी कर सकता है और निगरानी कर सकता है |
नूपुर तलवार बनाम सीबीआई २०१२(77) एसीसी 718 सुप्रीम कोर्ट- मजिस्ट्रेट विवेचनाधिकारी की राय से बाध्य नही है और वह पुलिस द्वारा रिपोर्ट में व्यक्त किये विचारो के बाबजूद अपने विवेक का प्रयोग करने के लिए सक्षम है और विचार कर सकता है कि प्रथम दृष्टया अपराध बनता है अथवा नही|
मनोहर लाल शर्मा बनाम मुख्य सचिव (2014) 2 एससीसी 532 - पुलिस पर नागरिको के जीवन, स्वतंत्रता और सम्पत्ति की सुरक्षा की उत्तरदायित्व है| अपराधो की विवेचना महत्वपूर्ण कार्यो में से एक है| विवेचना का उद्देश्य अंततः सत्य की खोज करना और अपराधी को गिरफ्तार करना है|
अजय कुमार पांडेय बनाम उ.प्र. राज्य15692/20 दिनांक 27.01.21- विवेचनाधिकारी द्वारा उचित/निष्पक्ष विवेचना नहीं की जाती है तो वह सम्बन्धित मजिस्ट्रेट से धारा 156 (3 ) के तहत उचित विवेचना के लिए, रिट अनुच्छेद 226 क्षेत्राधिकार में जाने के बजाय आदेश के लिए आवेदन कर सकता है|
माननीय सर्वोच्च न्यायायल ने कई मामलो में माना कि निष्पक्ष विवेचना आरोप पत्र दाखिल करने से पहले होती है | संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार है कि निष्पक्ष, पारदर्शी और विवेकपूर्ण विवेचना होनी चाहिए | एक दागी और पक्षपातपूर्ण विवेचना के आधार पर आरोप पत्र दाखिल हुआ है जो वास्तव में विवेचना नहीं है इसलिए इस तरह की विवेचना के अनुसरण में दाखिल आरोप पत्र कानूनी और नियमानुसार नहीं हो सकती है |

एल. के. गौतम एडवोकेट, मोबाइल नंबर- 9412171744

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