Class 10 Maths Exercise 5.2 Question 4 in Hindi | Q 4 Ex 5.2 Maths Class 10 | Class 10 Maths
Автор: START MATHS
Загружено: 2023-05-17
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नमस्कार दोस्तो,
5.2 Question 15 class 10 maths | Class 10
Chapter 5 Ex.2 Q 15 | Class 10 Maths Hindi
.P = Arithmetic Progression ( समांतर श्रेणी )
समांतर श्रेणी क्या है / समांतर श्रेढी की परिभाषा :-
एक समांतर श्रेणी ( A.P.) संख्याओं की एक ऐसी सूची है जिसमें प्रत्येक पद ( पहले पद के अतिरिक्त ) अपने पद में एक निश्चित संख्या जोड़ने पर प्राप्त होता है तो इस प्रकार की सूची को समांतर श्रेणी कहते हैं | इसे संक्षिप्त में A.P. कहते हैं तथा इसका विस्तारित रूप Arithmetic Progression है |
उदाहरण :- A.P : (1) 1,2,3,4 ..........
(2) 100,70,40,10, ...........
(3) -3,-2,-1,0 ...........
(4) 3,3,3,3 ..........
समांतर श्रेणी (A.P.) की प्रत्येक संख्या एक पद (Term) कहलाता है |
समांतर श्रेणी का प्रथम पद :-
समांतर श्रेणी की सूची की प्रथम संख्या A.P. का प्रथम पद कहलाता है | इसी प्रकार दूसरी संख्या दूसरा पद तथा तीसरी संख्या तीसरा पद कहलाता है प्रथम पद को a से व्यक्त करते हैं |
उदाहरण :- A.P. : 2,4,6,8,10 .........
प्रथम पद a = 2
दूसरा पद a2 = 4
तीसरा पद a3 = 6 आदि
समांतर श्रेणी का सार्व अंतर :-
किसी समांतर श्रेणी में प्रत्येक पद , अपने पद में एक निश्चित संख्या जोड़ने पर प्राप्त होता है | यह निश्चित संख्या A.P. का सार्व अंतर ( Common difference ) कहलाती है
सार्व अंतर को d से व्यक्त किया जाता है सार्व अंतर धनात्मक, ऋणात्मक या शून्य हो सकता है |
माना कोई समांतर श्रेणी है जिसके पद निम्न प्रकार है-
a1 , a2 , a3 , a4 .............
यहाँ प्रथम पद a = a1
सार्व अंतर d = a2 - a1 = a3 - a2 = a4 - a3 .................
समांतर श्रेणी का व्यापक रूप / मानक रूप :-
a , a+d , a+2d , a+3d .............
जहां प्रथम पद = a
सार्व अंतर = d
इसे ही समांतर श्रेणी का व्यापक रूप ( General form ) कहते हैं |
समांतर श्रेणी के प्रकार :-
समांतर श्रेणी मुख्यतः दो प्रकार की होती है जिनका उदाहरण सहित वर्णन निम्न प्रकार है -
1. परिमित समांतर श्रेणी ( finite A.P. ) :-
वह समांतर श्रेणी जिसमें पदों की संख्या परिमित (finite) हो, उसे परिमित समांतर श्रेणी कहते हैं |
एक श्रेणी का एक अंतिम पद होता है |
उदाहरण :- (A) 147, 148, 149, ......... 157
(B) 950, 900, 850, ......... , 50
2. अपरिमित समांतर श्रेणी ( Infinite A.P. ) :-
वह समांतर श्रेणी जिसमें पदों की संख्या अपरिमित (Infinite) हो , उसे अपरिमित समांतर श्रेणी कहते हैं |
इस श्रेणी का अंतिम पद नहीं होता है |
उदाहरण :- (A) 1,2,3,4, .........
(B) 2,4,6,8, ............
समांतर श्रेणी का n वाँ पद :-
यदि किसी समांतर श्रेणी का प्रथम पद a तथा सार्व अंतर d हो तो उसका n वाँ पद निम्न सूत्र से ज्ञात किया जा सकता है |
an = a + (n-1)d
जहां a = प्रथम पद
d = सार्व अंतर
n = पदों की संख्या
an = n वाँ पद
समांतर श्रेणी के n वें पद को an से व्यक्त करते हैं an को समांतर श्रेणी का व्यापक पद भी कहा जाता है |
समांतर श्रेणी के प्रथम n पदों का योग :-
किसी समांतर श्रेणी के प्रथम n पदों का योग S निम्न सूत्र से प्राप्त होता है -
Sn =
n2
[ 2a + ( n - 1 ) d ]
जहां n = पदों की संख्या
a = प्रथम पद
d = सार्व अंतर
S = n पदों का योग
हम इसे इस रूप में भी लिख सकते हैं -
Sn =
n2
[ a + a + ( n - 1 ) d ]
Sn =
n2
[ a + an ]
यदि किसी समांतर श्रेणी में केवल n ही पद है तो an अंतिम पद l के बराबर होगा |
Sn =
n2
[ a + l ]
जहां n = पदों की संख्या
a = प्रथम पद
d = सार्व अंतर
S = n पदों का योग
प्रथम n धन पूर्णांकों का योग सूत्र :-
Sn =
n ( n + 1 )2
{ n = पदों की संख्या }
समांतर श्रेणी का समांतर माध्य ( मध्य पद ) :-
माना कोई A.P. : a , b , c , ............
समांतर माध्य (b) = =
a + c2
समांतर श्रेणी के सभी सूत्र ( ArithmeticProgression all Formullas ) :-
1. समांतर श्रेणी का प्रथम पद = a
2. सार्व अंतर d = दूसरा पद - पहला पद
3. A.P. का व्यापक रूप = a, a + d , a + 2d , a + 3d ............
4. n वाँ पद = an = a + ( n - 1 ) d
5. n पदों का योग :-
Sn =
n2
[ 2a + ( n - 1 ) d ]
6. n पदों का योग :-
Sn =
n2
[ a + l ] { जहां l = अंतिम पद }
7. प्रथम n धन पूर्णांकों का योग सूत्र :-
Sn =
n ( n + 1 )2
8. समांतर माध्य ( मध्य पद ) :-
b =
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a + c2
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