🌹🙏🌹शनि देव को प्रसन्न करने के लिए # हर शनिवार करें इस स्त्रोत का पाठ, जय श्री राम
Автор: Radhe Radhe
Загружено: 2025-11-27
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शनि देव को प्रसन्न करने के लिए हर शनिवार करें इस स्त्रोत का पाठ, #धन- समृद्धि की होगी प्राप्ति, शनि देव की असीम कृपा
Shani Dev kaun hai
Shani Dev kiske Putra Hain
Shanidev ki Puja kab hoti hai
Shani Dev Ki Puja kis din Karni chahie
Shanidev ko prasann karne ke liye Kya Karen
Shani Dev ka kya naam hai
Shani Dev ko kaise prasann karen
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हिन्दू ज्योतिष में शनि ग्रह को आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि का कारक माना जाता है। वहीं शनि देव कर्मफल दाता और न्याय प्रदाता माना जाता है। साथ ही शनि देव का संबंध शनिवार के दिन से होता है। इसलिए इस दिन शनि देव की विशेष आराधना करने का विधान है। वहीं यहां हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे स्त्रोत के बारे में, जिसका नाम है दशकृत शनि स्त्रोत। शनिवार के दिन इस स्त्रोत का पाठ करने से धन- समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जीवन में संपन्नता बनी रहती है।
दशरथकृत शनि स्तोत्र (Dashrathkrit Shani Stotra/ Shani Stotra)
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।
नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च।।
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते।।
तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।
देवासुरमनुष्याश्च सिद्घविद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।
प्रसाद कुरु मे देव वाराहोऽहमुपागत।
एवं स्तुतस्तद सौरिग्र्रहराजो महाबल:।।
शनि देव की आरती (Shani Aarti)
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव….
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव….
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव….
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव….
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
जय Shani Dev @RadheRadhe-t4s
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