जब भगवान विष्णु शेषनाग पर सोए | The Secret of Lord Vishnu Resting on Sheshnag
Автор: OmKriti
Загружено: 2025-10-24
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भगवान विष्णु का क्षीरसागर में विश्राम केवल विश्राम नहीं — यह ब्रह्मांड की सबसे गहरी ध्यानावस्था है।
शेषनाग का नाम ‘अनंत’ इसलिए है क्योंकि वह कभी समाप्त नहीं होते — वे सृष्टि की नींव हैं।
जब विष्णु शेष पर शयन करते हैं, तो उनके भीतर संपूर्ण ब्रह्मांड का संतुलन स्थिर होता है।
उनकी हर श्वास में एक सृष्टि जन्म लेती है, और हर निश्वास में वह लय हो जाती है।
उनके नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रह्मा का प्रकट होना — यह दर्शाता है कि सृजन शांति से उत्पन्न होता है, अशांति से नहीं।
यह कथा हमें याद दिलाती है कि स्थिरता ही सृजन की जड़ है, और विष्णु उसका शाश्वत केंद्र।
Lord Vishnu’s rest on the cosmic serpent Sheshnag symbolizes eternal balance.
Every breath of Vishnu creates a universe; every exhale dissolves it.
It is not sleep — it is awareness so deep that it holds creation itself.
Peace, therefore, is not the end — it is the womb of creation.
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