सूरा अल-मैदा (5:3) में निर्दिष्ट किया गया है कि मरे हुए जानवर का मांस हराम (निषिद्ध) है।
Автор: AdiSanatanTruth
Загружено: 2025-03-29
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सूरा अल-मैदा (5:3) में निर्दिष्ट किया गया है कि मरे हुए जानवर का मांस हराम (निषिद्ध) है।
कुरान शरीफ, सूरा अल-बकर (2:205) में कहा गया है कि पृथ्वी पर उपद्रव फैलाना और अल्लाह की बनाई सृष्टि को नष्ट करना पाप है।
सूरा अल-अनाम (6:141-142) में बताया गया है कि अल्लाह ने जीवों को संतुलन के साथ बनाया है, और उन्हें नष्ट करना गलत है।
निःशब्द (बेज़ुबान) जीवों को मारने पर विचार:
संत रामपाल जी महाराज के अनुसार –
किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, चाहे वह मूक (बेजुबान) हो या आवाज़ कर सकता हो।
खाने के लिए जीवों को मारना विशेष रूप से निंदनीय है।
अहिंसा परम धर्म है, और एक सच्चे भक्त को सभी जीवों के प्रति दयालु होना चाहिए।
संत रामपाल जी महाराज का संदेश:
संत रामपाल जी महाराज कहते हैं कि सत्य साधना करने के लिए हिंसा और मांसाहार का त्याग करना आवश्यक है। वे समझाते हैं कि परमात्मा के आदेश का पालन करने वाले व्यक्ति को किसी भी प्रकार की हिंसा से बचना चाहिए, चाहे वह प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष।
निष्कर्ष:
संत रामपाल जी महाराज के अनुसार, बेज़ुबान जीवों को मारना एक बड़ा पाप है। कुरान शरीफ में भी स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जीव हत्या अल्लाह के आदेशों के विरुद्ध है। इसलिए, एक भक्त को मांसाहार त्यागकर अहिंसा का मार्ग अपनाना चाहिए।
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