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संत सूरदास के पद हिंदी व्याख्या के साथ -18

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surdas ke dohe with hindi meaning

Автор: Bolti Shayri (बोलती शायरी)

Загружено: 2025-06-07

Просмотров: 272

Описание: अबिगत गति कछु कहति न आवै।
ज्यों गुंगो मीठे फल की रस अन्तर्गत ही भावै।।
परम स्वादु सबहीं जु निरन्तर अमित तोष उपजावै।
मन बानी कों अगम अगोचर सो जाने जो पावै।।
रूप रैख गुन जाति जुगति बिनु निरालंब मन चक्रत धावै।
सब बिधि अगम बिचारहिं तातों सूर सगुन लीला पदगावै।।

सूरदास जी कहते हैं कि इस संसार में कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन्हें चाह कर भी दूसरों को नहीं समझाया जा सकता है। कुछ ऐसी चीजें जिन्हें केवल महसूस किया जा सकता है, इस प्रकार के आनंद को केवल हमारा मन ही समझ सकता है। अक्सर जिन चीजों से हमें परम आनंद की अनुभूति होती है, दूसरों के सामने वह कोई महत्व नहीं रखता। यदि किसी गूंगे को स्वादिष्ट मिठाई खिला दी जाए तो, मिष्ठान का स्वाद गूंगा चाह कर भी दूसरों को नहीं समझा सकता। सूरदास जी का आशय यह है कि उन्होंने अपने पूरे जीवन में केवल श्री कृष्ण की ही गाथा गाई है। भगवान श्री कृष्ण के बाल लीला का वर्णन करते समय उन्हें जिस प्रकार के परम आनंद की अनुभूति होती है, उसे दूसरा कोई नहीं समझ सकता।

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संत सूरदास के पद हिंदी व्याख्या के साथ -18

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