श्री कृष्ण मोर पंख क्यों धारण करते हैं?
Автор: Vandana Sharma Unique Radhe Radhe
Загружено: 2025-09-26
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भगवान श्री राम और मोर ki bahut sunder कथा
भगवान श्री कृष्ण के शीश पर मोर पंख क्यों होता है - A Story of Peacock and Lord Krishna
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कृष्ण के शीश पर मोर पंख क्यों?
भगवान् कृष्ण की लीलाएं अपरम्पार है l गोकुल में श्री कृष्ण का भक्त एक मोर रहता था, वह श्री कृष्ण की कृपा पाना चाहता था। इसके लिए वह मोर प्रतिदिन भगवान द्वार पर बैठा एक भजन गाता-मेरा कोई ना सहारा बिना तेरे, गोपाल सांवरिया मेरे,
इस प्रकार प्रतिदिन वह यही गुनगुनाता रहता एक दिन हो गया, 2 दिन हो गये इसी तरह 1 साल व्यतीत हो गया, परन्तु राधा के प्रेम में मगन कृष्ण ने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया l एक दिन दुखी होकर मोर रोने लगा। तभी वहाँ से एक मैना उडती जा रही थी, उसने कृष्ण के द्वार पर मोर को रोता हुए देखा तो बहुत अचंभित हुई। मैना मोर के पास गई और उससे उसके रोने का कारण पूंछा हे मोर तू क्यों रोता है? तब मोर ने बताया की पिछले एक वर्ष से मैं इस छलिये को रिझा रहाहूँ , परन्तु इसने आज तक मुझे पानी भी नही पिलाया। यह सुनकर मैना बोली -में श्री राधे के बरसना से आई हु.. तू मेरे साथ वहीं चल, राधे रानी बहुत दयालु हैं वह तुझ पर अवश्य ही करुणा करेंगी। मोर ने मैना की बात से सहमति जताई और दोनों उड़ चले बरसाने की और उड़ते उड़ते बरसाने पहुच गये। राधा रानी के द्वार पर पहुँच कर मैना ने गाना शुरू किया-श्री राधे राधे, राधे बरसाने वाली राधे...l परन्तु मोर तो बरसाने में आकर भी यही दोहरा रहा था
मेरा कोई ना सहारा बिना तेरे, गोपाल सांवरिया मेरेl
जब राधा जी ने ये सुना तो वो दोड़ी चली आई और प्रेम से मोर को गले लगा लिया, और मोर से पूंछा कि तू कहाँ से आया है। तब मोर बोला जय हो राधा रानी आज तक सुना था की तुम करुणामयी हो और आज देख भी लिया। राधा रानी बोली वह कैसे ?तब मोर बोला- मैं पिछले एक वर्ष से अपने भजन द्वारा कृष्ण जी का नाम जपता रहा किन्तु उन्होंने सुनना तो दूर कभी मुझको थोड़ा सा पानी भी नही पिलाया..
राधा रानी बोली -अरे नहीं मेरे कृष्ण ऐसे नहीं है, तुम एक बार फिर से वही जाओ किन्तु इस बार कृष्ण-कृष्ण नहीं राधे-राधे रटना। मोर ने राधा रानी की बात मान ली और लौट कर गोकुल वापस आ गया फिर से कृष्ण के द्वार पर पहुंचा और इस बार रटने लगा-जय राधे राधे! जय राधे राधे! जय राधे राधे!
जब कृष्ण जी ने ये सुना तो भागते हुए आये और उन्होंने भी मोर को प्रेम से गले लगा लिया और बोले- हे मोर, तू कहाँ से आया हैं? यह सुनकर मोर बोला - वाह रे छलिये जब एक वर्ष से आपके नाम की रट लगा रहा था, तो कभी पानी भी नही पूछा और जब आज जय राधे राधे..बोला तो भागकर आ गये ! तब कृष्ण जी ने मोर की सारी बात सुनी फिर बोले- मैंने तुझको कभी पानी नहीं पिलाया कभी तुम्हारी भक्ति पर ध्यान न दिया ये मेरा दुर्भाग्य है और तूने राधा का नाम लिया,यह तेरा सौभाग्य है। पर तुम दुखी न हो ,मैं तुझको वरदान देता हूँ कि जब तक ये सृष्टि रहेगी, तेरा पंख सदेव मेरे शीश पर विराजमान होगा..! और जो भी भक्त राधा का नाम लेगा, वो भी सदा मेरे शीश पर रहेगा l इस प्रकार मोर पंख सको भगवान के शीश पर स्थान मिला l बोलिए जय श्री कृष्णा
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