Subh Aru Asubh Salil Sab Bahahi | गंगा जी: सदा पवित्र और पूजनीय | Ramcharitmanas Bal Kand
Автор: Shri RamCharitManas Ras
Загружено: 2025-09-03
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चौपाई
“सुभ अरु असुभ सलिल सब बहही।
सुरसरी कोउ अपुनीत न कहही॥”
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📖 हिंदी में अर्थ
गंगा जी में शुभ और अशुभ, सभी प्रकार का जल बहता है,
फिर भी कोई भी उन्हें अपवित्र नहीं कहता।
👉 भावार्थ: गंगा जी का पवित्र स्वरूप इतना महान और दिव्य है कि चाहे उनमें कैसा भी जल प्रवाहित हो, उनकी पवित्रता और महिमा पर कोई आंच नहीं आती। वे सदा पूजनीय और पवित्र हैं।
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📖 English Meaning
“In the Ganga flows both pure and impure waters,
yet no one ever calls her impure.”
👉 Essence: The sanctity and divinity of the Ganga remain untouched, regardless of what enters her waters. She is eternally pure and revered.
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✨ इस चौपाई का उद्देश्य यह स्पष्ट करना है कि जैसे गंगा कभी अपवित्र नहीं कही जाती, वैसे ही भगवान शिव के तथाकथित दोष भी वास्तव में उनके महान गुण ही हैं।
✨ रामचरितमानस (बालकाण्ड) ✨
गोस्वामी तुलसीदास जी लिखते हैं —
“सुभ अरु असुभ सलिल सब बहही।
सुरसरी कोउ अपुनीत न कहही॥”
👉 अर्थ:
गंगा जी में शुभ और अशुभ सभी प्रकार का जल बहता है,
फिर भी उनकी पवित्रता और महिमा पर कोई आंच नहीं आती।
📖 भावार्थ:
गंगा जी सदा पवित्र और पूजनीय हैं। उनका स्वरूप इतना दिव्य है कि संसार का कोई भी अपवित्र जल उनकी महानता को कम नहीं कर सकता।
जय गंगे माता 🙏
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