कर्मों का फल अवश्य मिलता है — कुत्ते का जन्म क्यों मिलता है? श्री कृष्ण और श्री राम की उपदेश कथा
Автор: DHARM KA GYAN
Загружено: 2025-11-27
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मित्रों, हिंदू धर्मग्रंथों में कहा गया है कि हर मनुष्य को अपने कर्मों का फल अवश्य ही भोगना पड़ता है। जीवन में जो जैसे कर्म करता है, मृत्यु के बाद उसी के अनुसार जन्म मिलता है — किसी को कुत्ते का जन्म, किसी को भेड़-बकरी की योनि।
इस कथा में हम जानेंगे:
✔ कौन से पाप मनुष्य को कुत्ते का जन्म दिलाते हैं
✔ पाप और कर्म का वास्तविक संबंध
✔ कुत्ते को भोजन कराने से क्या पुण्य मिलता है
✔ भगवान श्री कृष्ण और देवी राधा का संवाद
✔ भगवान श्री राम और कुत्ते की न्याय कथा
✔ गंगा स्नान से कौन से पाप धुलते हैं और कौन से नहीं
अंत में संदेश यही है —
अनजाने में हुए पाप गंगा जी में धुल जाते हैं, पर जानबूझकर किए गए पाप — कर्मफल से ही मिटते हैं।
भक्तों, कहा जाता है कि अनजाने में होने वाले पाप भी उतने ही गंभीर होते हैं जितने जानबूझकर किए गए। गंगा जी में स्नान वही व्यक्ति पवित्र करता है जिसका मन निर्मल हो, सोच शुद्ध हो, और किसी के प्रति छल-कपट या बुरे विचार न हों।
दूसरों की बहन-बेटियों पर गलत दृष्टि रखने वालों का अंत में सर्वनाश निश्चित है और हर व्यक्ति अपने कर्मों का फल अवश्य भोगता है।
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