गृहस्थ में रहकर भी ब्रह्मचर्य कैसे? संतों का रहस्य | Santmat Satsang Brahmacharya Explained
Автор: SANTMAT SADHANA BHAKTI
Загружено: 2025-12-04
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पूज्यपाद आचार्य महर्षि वेदानन्द जी महाराज का जीवन बदल देने वाला अमृत प्रवचन ✨ #santmatsadhanabhaktishorts
तो आप गृहस्थ हैं तो सोचते हैं—“हम तो बाल-बच्चेदार हैं, हमारा कैसे होगा?”
लेकिन यह भ्रम है। दो-चार बच्चे हो गए, इससे कुछ नहीं बिगड़ता।
गुरु नानक देव महाराज के भी दो पुत्र थे — फिर भी वे परम सत्य को प्राप्त हुए।
संत तुकाराम जी महाराज भी गृहस्थ थे — फिर भी वे ईश्वर तक पहुँचे।
ऐसे अनेक संत हुए हैं जो पारिवारिक जीवन में रहते हुए भी ब्रह्मलोक तक पहुंचे।
तो बस इतना याद रखिए — एक-दो बच्चे होना समस्या नहीं है।
समस्या तब होती है जब जीवनभर केवल इंद्रियों के पीछे भागना ही जीवन बन जाए।**
जब आप संयम का अभ्यास करते हैं, तो आपके भीतर एक विशेष प्रकार की शक्ति संचित होती है — जिसे संतों ने “ओज” या “तेज” कहा है।
यही ओज आगे चलकर विवेक, ध्यान, धैर्य और आध्यात्मिक उन्नति रूप में प्रकट होता है।
यही कारण है इस मार्ग का नाम रखा गया — ब्रह्मचर्य, अर्थात् ब्रह्म की ओर चलने वाला मार्ग।
जब यह शक्ति भीतर जागती है, तब वही आपको ब्रह्म तक ले जाती है।
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“गृहस्थ होना बाधा नहीं है — गुरु नानक, तुकाराम और अनेक संत गृहस्थ थे।
बाधा इंद्रिय-भोग है, न कि परिवार।
संयम से जो शक्ति पैदा होती है, संत उसे ओज कहते हैं।
उसी शक्ति के बल पर साधक ब्रह्म की ओर बढ़ता है — इसलिए इसका नाम ब्रह्मचर्य है।”
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