ycliper

Популярное

Музыка Кино и Анимация Автомобили Животные Спорт Путешествия Игры Юмор

Интересные видео

2025 Сериалы Трейлеры Новости Как сделать Видеоуроки Diy своими руками

Топ запросов

смотреть а4 schoolboy runaway турецкий сериал смотреть мультфильмы эдисон
Скачать

9-गायत्री परिवार के समस्त कार्यकर्ता/परिजनों के लिऐ ( मण्डल का गठन और रीति- नीति .) लेखक-ब्रह्मवर्चस

Автор: Gayatri Gyan Mandir Orai Jalaun UP

Загружено: 2023-08-13

Просмотров: 67

Описание: !!स्वाध्याय में कभी प्रमाद न करें!!

"आत्मीय भाईयों एवं बहिनों !!

सदविचारों की महत्ता का अनुभव तो करते हैं ,पर उनपर दृढ़ नहीं रह पाते । जब कोई अच्छी पुस्तक पढ़ते या सत्संग प्रवचन सुनते हैं ,तो इच्छा होती है कि इसी अच्छे मार्ग पर चलें ,पर जैसे ही वह प्रसंग पलटा कि दूसरे प्रकार के पूर्व अभ्यासी विचार पुनः मस्तिष्क में अधिकार जमा लेते हैं और वही पुराना घिसापिटा कार्यक्रम चलने लगता है । इस प्रकार उत्कृष्ट जीवन बनाने की आकांछा एक कल्पना मात्र बनी रहती है । उसके चिरितार्थ होने का अवसर प्रायः आने ही नहीं पाता ।
उच्च विचारों को बहुत थोड़ी देर हमारे मनोभूमि में स्थान मिलता है । जितनी देर सत्संग- स्वाध्याय का अवसर मिलता है उतने थोड़े समय ही तो अच्छे विचार मस्तिष्क में ठहर पाते हैं । इसके बाद वही पुराने कुविचार आंधी तूफान की तरह आकर उन श्रेष्ठ विचारों की छोटी से बदली को उड़ाकर एक ओर भगा देते हैं । निकृष्ट विचारों में तात्कालिक लाभ और आकर्षण स्वभावतः अधिक होता है ,चिरकाल से अभ्यास में आते रहने के कारण उनकी जड़े भी बहुत गहरी हो जाती हैं । इन्हें उखाड़ कर नए श्रेष्ठ विचारों की स्थापना करना ,सचमुच बड़ा कठिन काम है । दस पांच मिनट कुछ पढ़ने -सुनने या सोचने चाहने से ही परिष्कृत मनोभूमि का बन जाना और उसके द्वारा सत्कर्मों जा प्रवाह बहने लगना कठिन है । जैसे विचारों की जितनी तीव्रता और निष्ठा के साथ जितनी अधिक देर मस्तिष्क में निवास करने का अवसर मिलता है ,वैसे ही प्रभाव की मनोभूमि में प्रबलता होती चलती है । देर तक स्वार्थपूर्ण विचार मन मे रहें और थोड़ी देर सदविचारों के लिए अवसर मिले तो वह अधिक देर रहने वाला प्रभाव कम समय वाले प्रभाव को परास्त कर देगा । इसलिए उत्कृष्ट जीवन की वास्तविक आकांछा करने वालों के लिए एक ही मार्ग रह जाता है कि मन में अधिक समय तक अधिक प्रौढ़ ,अधिक प्रेरणाप्रद एवं उत्कृष्ट कोटि के विचारों को स्थान मिले । संत इमर्सन से उनके एक मित्र ने पूछा - " आपको कभी स्वर्ग जाने को कहा जाए ,तो आप क्या तैयारी करेंगे ?" - " सबसे पहिले अपनी सारी पुस्तकें बांध लेंगे । " इमर्सन बोले -"ताकि स्वर्ग में हमारा समय बेकार न जाये ।"
लोकमान्य तिलक से एक मित्र ने पूछा -
" आपको नरक जाना पड़े तो क्या करेंगे ?"
" अपने साथ पुस्तकें लेता जाऊँगा ,ताकि स्वाध्याय द्वारा नरक को भी स्वर्ग में बदलने वाले विचार इकट्ठा कर सकूँ ।" लोकमान्य बोले । उत्कृष्ट एवं प्रौढ़ विचारों को अधिकाधिक समय तक हमारे मस्तिष्क में स्थान मिलता रहे ,ऐसा प्रबंध यदि कर लिया जाए तो कुछ ही दिनों में अपनी इच्छा ,अभिलाषा और प्रवृत्ति उसी दिशा में ढल जाएगी और बाह्य जीवन में वह सात्विक परिवर्तन स्पष्ट द्रष्टिगोचर होने लगेगा । विचारों की शक्ति महान है । उससे हमारा जीवन तो बदलता ही है ,संसार भी बदलता है । श्रेष्ठ लोगों के चरित्र प्राप्त करने की बात सोचते रहना ,मनन और चिंतन की दृष्टि से आवश्यक है । जितनी देर तक मन में उच्च भावनाओं का प्रवाह बहता रहे उतना ही अच्छा है । ऐसा साहित्य हमारे लिए संजीवनी बूटी का काम करेगा । उसे पढ़ना /सुनना अपने अत्यंत प्रिय कामों में से एक बना लेना चाहिए । सुलझे हुए विचारों के सच्चे मार्गदर्शक न मिलने के अभाव की पूर्ति सत्साहित्य से संभव है । आज उलझे हुए विचारों के लोग बहुत हैं । धर्म के नाम पर आलस्य ,अकर्मण्यता, निराशा, दीनता, कर्तव्य की उपेक्षा ,स्वार्थपरता, संकीर्णता की शिक्षा देने वाले सत्संगों से जितना दूर रहा जाए उतना ही अच्छा है ।
कहीं से भी,किसी भी प्रकार भी जीवन को समुन्नत बनाने वाले , सुलझे हुए उत्कृष्ट विचारों को मस्तिष्क में भरने का साधन जुटाना चाहिए । स्वाध्याय से सत्संग से ,मनन से ,चिंतन से जैसे भी बन सके वैसे यह व्यवस्था करनी चाहिए कि हमारा मस्तिष्क उच्च विचारधारा में निमग्न रहे । यदि इस प्रकार के विचारों में मन लगने लगे ,उनकी उपयोगिता समझ पड़ने लगे तो समझना चाहिए कि आधी मंजिल पार कर ली गईं ।
गीता में कहा गया है - " न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते " अर्थात इस संसार में ज्ञान से बढ़कर और कोई श्रेष्ठ पदार्थ नहीं है । यदि हम इस संसार में सर्वश्रेष्ठ बस्तु तलाश करना चाहें तो अंततः " ज्ञान" को ही श्रेष्ठता प्रदान करनी पड़ेगी । इसे प्राप्त कर सामान्य श्रेणी की योग्यता एवं परिस्थितियों के व्यक्ति अत्यंत उच्चकोटि का स्थान प्राप्त करते हैं । ज्ञान को ही पारसमणि कहा गया है । लोहा पारस को छूकर सोना बन जाता है या नहीं ? पारस कहीं है या नहीं ? यह बातें संदिग्ध हैं, पर ज्ञान रूपी पारस स्पर्श कर तुच्छ श्रेणी के व्यक्ति ऊंचे से ऊँचे स्थान पर पहुँच सकते हैं ,यह निर्विवाद सत्य है । जिस ज्ञान को संसार का सर्वश्रेष्ठ पदार्थ कहा गया है ,वह ज्ञान विद्या ही है । स्कूली ज्ञान तो करोड़ो मनुष्यों को है । उससे थोड़ा बाहरी विकास तो अवश्य होता है पर आंतरिक महानता किसी की नहीं बढ़ती । आत्मनिर्माण की ,चरित्र गठन की ,सत्प्रवृत्तियों की भावनाएं जाग्रत करने वाले सद्विचारों को ही सच्चा ज्ञान कहा जा सकता है । यही जीवन को सफल बनाने वाला सर्वश्रेष्ठ पदार्थ है । इसे प्राप्त करने के लिए हम में से हर एक को शक्तिभर प्रयत्न करना चाहिए ।
गायत्री ज्ञान मंदिर (श्रीराम बालसंस्कारशाला ) गायत्री परिवार ट्रस्ट ,3798,पटेलनगर उरई ,जनपद जालौन ( उत्तर प्रदेश) 285001 mb -9971917595 के माध्यम से "स्वाध्याय "की महत्ता को जानते -समझते हुए " विचारक्रांति अभियान " में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर , अपनी आवाज में पंडित श्रीराम आचार्य के विचारों को आप तक पहुचाने का प्रयास किया है । विचार अच्छे लगे तो हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए कृपया प्रेषित vdo को अपने इष्टमित्रों ,और परिचितों तक भेजें ,इस तरह "विचारक्रांति अभियान "में आपकी भी भागीदारी सुनिश्चित होगी । आप भी इस अभियान का एक हिस्सा होंगे ।

विचारक्रांति अभियान !!

Не удается загрузить Youtube-плеер. Проверьте блокировку Youtube в вашей сети.
Повторяем попытку...
9-गायत्री परिवार के समस्त कार्यकर्ता/परिजनों के लिऐ ( मण्डल का गठन और रीति- नीति .) लेखक-ब्रह्मवर्चस

Поделиться в:

Доступные форматы для скачивания:

Скачать видео

  • Информация по загрузке:

Скачать аудио

Похожие видео

Аденоиды не причина ротового дыхания! Истина в другом

Аденоиды не причина ротового дыхания! Истина в другом

Rymanowski, s. Skass: Radość i wątpliwości

Rymanowski, s. Skass: Radość i wątpliwości

Я умоляю! НЕ пейте воду так по утрам - особенно если вам за 60! Бесценные советы академика. Горшков

Я умоляю! НЕ пейте воду так по утрам - особенно если вам за 60! Бесценные советы академика. Горшков

Акунин ошарашил прогнозом! Финал войны уже решён — Кремль скрывает правду

Акунин ошарашил прогнозом! Финал войны уже решён — Кремль скрывает правду

Jezus nie urodził się w Betlejem? Teologia kontra tradycja!

Jezus nie urodził się w Betlejem? Teologia kontra tradycja!

Dzisiaj Informacje Telewizja Republika 22.12.2025 | TV Republika

Dzisiaj Informacje Telewizja Republika 22.12.2025 | TV Republika

"Nie mogę się pozbierać". Komorowski nie wytrzymał po słowach Millera

Переговоры по Украине под угрозой: утечка в США меняет правила игры /№1069/ Юрий Швец

Переговоры по Украине под угрозой: утечка в США меняет правила игры /№1069/ Юрий Швец

Кому понадобилось кровавое побоище в Тбилиси 9 апреля 1989 года

Кому понадобилось кровавое побоище в Тбилиси 9 апреля 1989 года

Spór prezydenta i premiera o politykę zagraniczną | BEZ RETUSZU

Spór prezydenta i premiera o politykę zagraniczną | BEZ RETUSZU

3.भगवान और भजन का मर्म (जन्मशताब्दी पुस्तकमाला -66) प्रवचन- श्रीराम शर्मा आचार्य

3.भगवान और भजन का मर्म (जन्मशताब्दी पुस्तकमाला -66) प्रवचन- श्रीराम शर्मा आचार्य

Kowalski: Żurek trafi przed Trybunał Stanu.  To wszystko będzie rozliczone!  | W Punkt

Kowalski: Żurek trafi przed Trybunał Stanu. To wszystko będzie rozliczone! | W Punkt

Она Была «Негодной Для Брака» — Её Отец Отдал Её Самому Сильному Рабу, Вирджиния, 1856

Она Была «Негодной Для Брака» — Её Отец Отдал Её Самому Сильному Рабу, Вирджиния, 1856

3️⃣ 17 грудня - Drilling: Practice with purpose

3️⃣ 17 грудня - Drilling: Practice with purpose

КЛАССИЧЕСКАЯ МУЗЫКА ДЛЯ ВОССТАНОВЛЕНИЯ НЕРВНОЙ СИСТЕМЫ🌿 Нежная музыка успокаивает нервную систему 22

КЛАССИЧЕСКАЯ МУЗЫКА ДЛЯ ВОССТАНОВЛЕНИЯ НЕРВНОЙ СИСТЕМЫ🌿 Нежная музыка успокаивает нервную систему 22

Live🔴Day 1 श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव पूज्य संत श्री अमृतराम जी | Shri Amritram Ji Maharaj | Jaipur |

Live🔴Day 1 श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव पूज्य संत श्री अमृतराम जी | Shri Amritram Ji Maharaj | Jaipur |

Ukraina zadaje miażdżący cios na Krymie – Rosja traci wszystko

Ukraina zadaje miażdżący cios na Krymie – Rosja traci wszystko

ПОЧЕМУ мы больше НИКОГДА не полетим на Луну? | Что на самом деле увидели астронавты?

ПОЧЕМУ мы больше НИКОГДА не полетим на Луну? | Что на самом деле увидели астронавты?

1.भगवान और भजन का मर्म (जन्मशताब्दी पुस्तकमाला -66) प्रवचन- श्रीराम शर्मा आचार्य

1.भगवान और भजन का मर्म (जन्मशताब्दी पुस्तकमाला -66) प्रवचन- श्रीराम शर्मा आचार्य

Почечные транспортеры лекарственных средств: механизмы, клиническое значение и роль в фармакотерапии

Почечные транспортеры лекарственных средств: механизмы, клиническое значение и роль в фармакотерапии

© 2025 ycliper. Все права защищены.



  • Контакты
  • О нас
  • Политика конфиденциальности



Контакты для правообладателей: [email protected]