कत्यूरी और चंद युग: वैदिक काल और प्रारंभिक जनजातीय सभ्यताएँ (1500–500 ईसा पूर्व)
Автор: GusainCreation
Загружено: 2025-12-16
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1500–500 ईसा पूर्व का काल भारतीय उपमहाद्वीप में वैदिक संस्कृति और प्रारंभिक जनजातीय समाजों के विकास का समय था। इसी दौर में उत्तर भारत के पर्वतीय क्षेत्रों, विशेषकर वर्तमान उत्तराखंड और कुमाऊँ–गढ़वाल क्षेत्र में, मानव बसावट धीरे-धीरे सुदृढ़ होने लगी। यद्यपि कत्यूरी और चंद वंश बहुत बाद में उभरे, लेकिन उनके शासन क्षेत्रों की सामाजिक और सांस्कृतिक जड़ें इसी प्राचीन काल में तैयार हुईं।
वैदिक काल में आर्य संस्कृति का प्रसार मैदानों से पर्वतीय अंचलों की ओर हुआ। यहां के लोगों का जीवन कृषि, पशुपालन और वन संसाधनों पर आधारित था। छोटे-छोटे जनजातीय समूह, जैसे कि किरात, खस और अन्य स्थानीय समुदाय, अपनी विशिष्ट परंपराओं, भाषाओं और सामाजिक संरचनाओं के साथ विकसित हुए। ये समाज प्रकृति-पूजक थे और यज्ञ, देवताओं तथा प्राकृतिक शक्तियों में आस्था रखते थे।
इस काल में स्थायी बस्तियों की शुरुआत, सामाजिक संगठन और धार्मिक विश्वासों का विकास हुआ, जिसने आगे चलकर कत्यूरी और चंद जैसे क्षेत्रीय राजवंशों के उदय के लिए आधार तैयार किया। इस प्रकार वैदिक काल और प्रारंभिक जनजातीय सभ्यताएँ हिमालयी क्षेत्रों के राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक इतिहास की नींव मानी जाती हैं।
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