ढोकरा शिल्प कला
Автор: The Narrative
Загружено: 2024-11-22
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संस्कृति एवं सभ्यता को प्रदर्शित करने की प्राचीन शिल्प कलाओं में से एक है ढोकरा शिल्प कला, जिसे जनजातीय समाज ने हजारों वर्षों से सहेज कर रखा है.
मुख्य रूप से बस्तर का कोंडागांव क्षेत्र ढोकरा शिल्प कला का सबसे बड़ा केंद्र है, लेकिन इस शिल्प कला का प्रयोग मध्यप्रदेश, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के जनजातीय क्षेत्रों में भी किया जाता है.
लगभग 4000 वर्ष प्राचीन इस शिल्प कला में मोम, मिट्टी एवं धातु का उपयोग किया जाता है, जिसके प्राचीनतम साक्ष्य सरस्वती-सिंधु घाटी की सभ्यता में देखने को मिले हैं.
इस शिल्प कला के माध्यम से बनी प्रतिमाएं मुख्य रूप से देवी-देवताओं एवं पशु-पक्षियों के साथ-साथ सनातन समाज की आरण्यक संस्कृति को दिखाने वाली होती है.
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