मार्गशीर्ष मास महात्म्य, अध्याय:7 और 8 Margashirsha Maas Ki Katha Day 4
Автор: Shri Krishan Diwani
Загружено: 2022-11-24
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@Shri Krishan Diwani मार्गशीर्ष मास महात्म्य, अध्याय:7, 8 / Margashirsha Maas Ki Katha Day-4
मार्गशीर्ष मास को हिन्दू पंचांग के अनुसार अगहन मास भी कहा जाता है। यूं तो हर माह की अपनी विशेषताएं है लेकिन मार्गशीर्ष का सम्पूर्ण मास धार्मिक दृष्टि से पवित्र माना जाता है। गीता में स्वयं भगवान ने कहा है-
"मासाना मार्गशीर्षोऽयम्"।
1. सतयुग में देवों ने मार्गशीर्ष मास की प्रथम तिथि को ही वर्ष प्रारंभ किया।
2..इसी मास में कश्यप ऋषि ने सुन्दर कश्मीर प्रदेश की रचना की। इसी मास में महोत्सवों का आयोजन होना चाहिए। यह अत्यंत शुभ होता है।
3. मार्गशीर्ष शुक्ल 12 को उपवास प्रारम्भ कर प्रति मास की द्वादशी को उपवास करते हुए कार्तिक की द्वादशी को पूरा करना चाहिए।प्रति द्वादशी को भगवान विष्णु के केशव से दामोदर तक 12 नामों में से एक-एक मास तक उनका पूजन करना चाहिए। इससे पूजक 'जातिस्मर' पूर्व जन्म की घटनाओं को स्मरण रखने वाला हो जाता है तथा उस लोक को पहुंच जाता है, जहां फिर से संसार में लौटने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
4 . मार्गशीर्ष की पूर्णिमा को चन्द्रमा की अवश्य ही पूजा की जानी चाहिए, क्योंकि इसी दिन चन्द्रमा को सुधा से सिंचित किया गया था। इस दिन माता, बहिन, पुत्री और परिवार की अन्य स्त्रियों को एक-एक जोड़ा वस्त्र प्रदान कर सम्मानित करना चाहिए। इस मास में नृत्य-गीतादि का आयोजन कर उत्सव भी किया जाना चाहिए।
5. मार्गशीर्ष की पूर्णिमा को ही 'दत्तात्रेय जयन्ती' मनाई जाती है।
6. मार्गशीर्ष मास में इन 3 पावन पाठ की बहुत महिमा है। 1. विष्णुसहस्त्र नाम, 2. भगवत गीता, 3. गजेन्द्रमोक्ष। इन्हें दिन में 2-3 बार अवश्य सुने या पढ़ें।
7. इस मास में 'श्रीमद भागवत' ग्रन्थ को देखने भर की विशेष महिमा है। स्कन्द पुराण में लिखा है- घर में अगर भागवत हो तो अगहन मास में दिन में एक बार उसको प्रणाम करना चाहिए।
8. इस मास में अपने गुरु को, इष्ट को ॐ दामोदराय नमः कहते हुए प्रणाम करने से जीवन के अवरोध समाप्त होते हैं।
9. इस माह में शंख में तीर्थ का पानी भरें और घर में जो पूजा का स्थान है उसमें भगवान के ऊपर से शंख मंत्र बोलते हुए घुमाएं, बाद में यह जल घर की दीवारों पर छीटें। इससे घर में शुद्धि बढ़ती है, शांति आती है, क्लेश दूर होते हैं।
10. अगहन मास को मार्गशीर्ष कहने के पीछे भी कई तर्क हैं। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अनेक स्वरूपों में व अनेक नामों से की जाती है। इन्हीं स्वरूपों में से एक मार्गशीर्ष भी श्रीकृष्ण का रूप है।
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