man Kali yantra Kat tantra
Автор: Aashu kumar up12
Загружено: 2025-10-13
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अब किस बात का गिला है और किससे शिकायत करें,जब अपनी ही तकदीर में बिछड़ना लिखा था।हमने तो हर मोड़ पर वफ़ा निभाई थी,बस उन्हें ही साथ निभाने का सलीका न मिलायह कैसी आग है जो अंदर ही जलती है, धुआँ नहीं होता,
यह कैसा ज़ख्म है जो दिखता नहीं पर हर पल रिसता है।
हमने तो हर खुशी दाँव पर लगा दी थी उनके लिए,
और वो चले गए, जैसे कोई अजनबी मिलता हैअब किस बात का गिला है और किससे शिकायत करें,
जब अपनी ही तकदीर में बिछड़ना लिखा था।
हमने तो हर मोड़ पर वफ़ा निभाई थी,
बस उन्हें ही साथ निभाने का सलीका न मिला थाटूटे हुए दिल की आवाज़ कोई सुनता नहीं,
ख़ामोशी को भी यहाँ कोई समझता नहीं।
हम तो दर्द को भी सीने में छुपा कर जीते हैं,
क्या करें, इस ज़माने में कोई किसी के लिए रुकता नहीं
Повторяем попытку...

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