कन्हैया ने इन्द्रदेव की पूजा क्यों बंद करादी,क्या गोवर्धनजी को गोपबालकों ने उठाया था?पूज्य डोंगरेजी
Автор: sarojendra sanatani
Загружено: 2023-02-08
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गोवर्धन की पूजा माने प्रकृति की पूजा। आदमी आज प्रकृति के साथ कितना खिलवाड़ कर रहा है। महानगरों में प्रदूषण के चलते सांस लेना मुश्किल हो गया। देश की राजधानी और उसके आसपास के इलाके में स्कूल बंद करने पड़ रहे हैं। यही हालत रही तो, इससे एक प्रकार से इंसान के अस्तित्व को ही खतरा पैदा हो जाएगा। इसलिए हमारे यहां कहा गया है कि प्रकृति की पूजा करो। शास्त्रों में पंचमहाभूतों को देवता कहा गया है और उन्हें शुद्घ रखने पर बल दिया गया है, ताकि प्राणियों को उसके लिए उपयोगी चीजें शुद्घ मिलें और जीवन चलता रहे। जिस समय यह विधान दिया गया तब तो प्रदूषण की समस्या भी नहीं थी। इसलिए प्रकृति का शोषण मत करो। हम भूल रहे हैं कि पंचमहाभूतों से हमारा जीवन चल रहा है। यह प्रकृति माता हमारा पोषण करती है, हमको इसका आदर करना चाहिए। गंगा, जमुना, सरस्वती को माता कहा गया है। इनमें स्नान-पान बड़ा महत्वपूर्ण है, मगर आज हमने अपने निजी स्वार्थ के चलते इनकी क्या हालत कर दी है। इनके स्नान-पान से पहले कई बार सोचना पड़ता है।
क्या हम ऋषियों के बताए हुए मार्ग पर चलते हैं? भक्ति का मतलब सिर्फ नाचना-कूदना नहीं। मंदिरों में भगवान से कुछ न कुछ मांगने वालों की ज्यादा भीड़ है। भगवान को चाहने वालों की, यानी भक्तों की कम। जो मांगते हैं हमारे यहां उन्हें भिखारी कहा गया है। आजकल मंदिर बनवाने की एक होड़ है। पहले अपने घर, दुकान, व्यापारिक ठिकानों को मंदिर बनाओ। कृष्ण की लीलाओं में कितना रहस्य छिपा है! भगवान मिट्टी खाते हैं। उनका संदेश है कि सब मुझमें हैं, मगर मैं सबसे परे हूं। मुझसे अलग कुछ नहीं। मैं कुछ खाता नहीं, मैं भोक्ता नहीं.
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