बाल्मीकि रामायण बाल काण्ड भाग 1 रामायण की संक्षिप्त कथा। श्रीराम के जीवन का सम्पूर्ण वर्णन
Автор: Bhagwan Shree Krishna
Загружено: 2024-12-01
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बाल्मीकि रामायण का बालकाण्ड रामायण के आरंभिक भाग को दर्शाता है, जिसमें भगवान राम के जन्म, उनके बाल्यकाल, और उनके विवाह तक की कथा का वर्णन किया गया है। बालकाण्ड में मुख्यतः निम्न घटनाएँ होती हैं:
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1. रामायण की रचना और उद्देश्य
महर्षि वाल्मीकि नारद मुनि से भगवान राम की कथा सुनते हैं और उनकी प्रेरणा से रामायण की रचना करते हैं। ब्रह्मा उन्हें आशीर्वाद देकर कहते हैं कि उनकी रचना त्रिकाल (भूत, भविष्य, वर्तमान) सत्य होगी।
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2. अयोध्या और राजा दशरथ
अयोध्या नगरी का वर्णन किया जाता है, जो समृद्धि और वैभव से भरपूर थी। राजा दशरथ, अयोध्या के राजा, वृद्धावस्था में संतान प्राप्ति के लिए अश्वमेध यज्ञ और पुत्रकामेष्टि यज्ञ कराते हैं।
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3. राम और भाइयों का जन्म
ऋष्यश्रृंग मुनि के यज्ञ के प्रभाव से दशरथ की तीन रानियों (कौशल्या, कैकेयी, सुमित्रा) को चार पुत्र प्राप्त होते हैं:
कौशल्या से राम,
कैकेयी से भरत,
सुमित्रा से लक्ष्मण और शत्रुघ्न।
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4. राम का बाल्यकाल और शिक्षा
राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न सभी अपनी शिक्षा और शस्त्र-विद्या में पारंगत होते हैं। विशेष रूप से राम और लक्ष्मण गुरु वशिष्ठ और विश्वामित्र के प्रिय शिष्य बनते हैं।
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5. ताड़का वध और यज्ञ की रक्षा
विश्वामित्र राजा दशरथ से राम और लक्ष्मण को अपने साथ लेकर जाने का आग्रह करते हैं। वे दोनों विश्वामित्र के साथ वन में ताड़का और अन्य राक्षसों का वध करते हैं। राम मारीच और सुबाहु जैसे राक्षसों को भी पराजित कर विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा करते हैं।
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6. जनकपुर आगमन और शिव धनुष
राम और लक्ष्मण विश्वामित्र के साथ मिथिला नगरी पहुंचते हैं। राजा जनक शिव धनुष तोड़ने की शर्त पर अपनी पुत्री सीता का विवाह कराने की घोषणा करते हैं।
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7. राम द्वारा शिव धनुष तोड़ना
राम शिव का दिव्य धनुष तोड़ते हैं, जिससे जनक अत्यंत प्रसन्न होते हैं। इसके बाद सीता का विवाह राम से संपन्न होता है। लक्ष्मण, भरत, और शत्रुघ्न का विवाह जनक के परिवार की अन्य कन्याओं (उर्मिला, मांडवी, श्रुतकीर्ति) से होता है।
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8. अयोध्या वापसी
विवाह के पश्चात राम और उनका परिवार अयोध्या लौट आता है। यहाँ राम अपने परिवार और प्रजा के साथ सुखमय जीवन व्यतीत करते हैं।
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बालकाण्ड का महत्व
यह खंड रामायण की नींव रखता है। इसमें राम के जन्म से लेकर उनके गुणों और दिव्यता का परिचय मिलता है। साथ ही, यह भारतीय जीवन मूल्यों, धर्म और आदर्शों की स्थापना करता है।
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