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गुणवत्तापूर्ण शैक्षणिक स्तर में पुस्तकालय की जरूरत

Автор: APNA GHAR APNA AANGAN

Загружено: 2018-11-23

Просмотров: 706

Описание: गुणवत्तापूर्ण शैक्षणिक स्तर बनाए रखने के लिए पुस्तकालय की भूमिका पर वार्तालाभ अमरेश कुमार द्वारा
गुणवत्तापूर्ण शैक्षणिक स्तर बनाए रखने के लिए पुस्तकालय की ज़रूरत/Library needed to maintain quality academic standards.
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पुस्तकालय की ज़रूरत और पुस्तकालय प्रशिक्षण
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शिक्षा में काम कर रहे लोगों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि पढ़ने-पढ़ाने को लेकर अपने नज़रिए और रणनीति में स्पष्टता रखें, खास तौर से तब, जब हम गतिविधि, खोज और अन्वेषण के माध्यम से ज्ञान के सृजन का इरादा रखते हों। इन इरादों के लिए स्कूलों में जीवन्त पुस्तकालय, उपयुक्त स्थान और माहौल मुहैय्या करवा सकते हैं। अपने अनुभव के आधार पर मैं आपको यह बताना चाहती हूँ कि पुस्तकालय एक महत्वपूर्ण जगह है और मज़े के लिए पढ़ना एक महत्वपूर्ण गतिविधि है। यही वह जगह है जहाँ पर हम ज्ञान का सृजन कर सकते हैं। उपरोक्त उद्देश्यों को पूरा करने के लिए पुस्तकालय-शिक्षकों, पुस्तकालय-प्रशिक्षकों और पुस्तकालय-कर्मियों को ज्ञान-सृजन के लिए किस तरह के कौशल और जानकारियों की ज़रूरत है और उनकी भूमिका क्या है। मेरी कोशिश रहेगी कि अपने इस अनुभव को वर्तमान शिक्षाई परिदृश्य के सन्दर्भ में साझा कर सकूँ।
नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा (आरटीई) अधिनियम, 2009 का अधिकार, 1 अप्रैल 2010 से लागू हुआ।
जैसा कि इस अधिनियम का परिशिष्ट बताता है कि अब यह कानूनी तौर पर अनिवार्य है कि सभी स्कूलों के पास एक सुसज्जित पुस्तकालय हो, हालाँकि इस अधिनियम के कई अन्य प्रावधानों की तरह यह भी अब तक पूरे तौर पर लागू नहीं हो पाया है। इसकी मुख्य वजह पैसों की कमी बताई जाती है, पर हमें इसके पीछे की वैचारिक समस्याओं को भी समझना होगा कि हम बच्चों के मानसिक जगत के विस्तार और विकास के लिए किस प्रकार की जगहों का निर्माण कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि स्कूल में पुस्तकालय की कमी सिर्फ भौतिक समस्या ही नहीं है बल्कि कई मायनों में हम रणनीतिक तौर पर भी पुस्तकालय और इसके इस्तेमाल के लिए हुनरमन्द शिक्षकों या पेशेवर लाइब्रेरी प्रशिक्षकों की कल्पना करने में नाकाम रहे। कम-से-कम स्कूली पुस्तकालयों और वहाँ पढ़ने के लिए मुकर्रर वक्त को देखकर तो ऐसा ही लगता है। हमें यह समझना होगा कि मज़े के लिए पढ़ने और कहानियों के ज़रिए होने वाले ये विकास, अदृश्य होते हैं और इनका शिक्षण शास्त्रीय महत्व काफी ज़्यादा है।
पुस्तकालय-शिक्षकों और प्रशिक्षकों को तैयार करने के लिए आज़माई गई कुछ प्रक्रियाओं को समझें। यह समझना भी ज़रूरी है कि भारत में स्कूल पुस्तकालय को लेकर क्या नीतियाँ हैं और ये किस भूमिका को पूरा कर रहे हैं और इनसे अपेक्षा क्या है।
ज्ञान सृजन के लिए स्कूल पुस्तकालय
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा,स्कूल पुस्तकालय को एक बौद्धिक स्थान के रूप में परिकल्पित करती है, जहाँ शिक्षकों, बच्चों और समुदाय को ज्ञान और कल्पना को गहराई से जानने का अवसर मिल सकता है। किसी भी स्कूली पुस्तकालय का मुख्य उद्देश्य बच्चों के लिए पढ़ने की सामग्री उपलब्ध कराना और पाठकों के जिज्ञासाओं को शांत करना है। एक कमज़ोर पुस्तकालय इन सामाजिक शैक्षणिक आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकता। यह दस्तावेज़ बताता है कि पाठकों के लिए समृद्ध संसाधनों से भरे जीवन्त और गतिशील पुस्तकालयों की आवश्यकता है। इन उद्देश्यों को देखते हुए स्कूल पुस्तकालय के विकास और सुधार को प्राथमिकता देनी चाहिए। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के आगमन के बाद इस नज़रिए को साकार करने के लिए हम नए तरीकों की उम्मीद कर सकते थे।
मेरी यह कोशिश थी कि बच्चे पुस्तकालय तक पहुँचें और किताबों से परिचित हो सकें लेकिन समस्या यह थी कि ज़्यादातर बच्चे पढ़ नहीं सकते थे। बस एक ही विकल्प था कि मैं उन्हें किताबें दिखाकर उनकी कहानियाँ सुनाऊँ। यह तरकीब कारगर रही, बच्चे पुस्तकालय आने लगे और पुस्तकों को पलटकर देखने लगे, साथ ही उनके बीच मेरी स्वीकार्यता बढ़ गई। मुझे शिक्षा शास्त्र के अन्तर्निहित सत्य का एहसास हुआ कि कहानियाँ बच्चों को ज़बर्दस्त तरीके से लुभाती हैं।
बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण साहित्य विकसित और प्रकाशित किया जाए और पुस्तकालयों की स्थापना के माध्यम से इन पुस्तकों तक बच्चों की पहुँच सुनिश्चित की जाए, जिसमें यह कोशिश भी शामिल होनी चाहिए कि बच्चों के लिए प्रतिभाशाली लेखकों, चित्रकारों, पुस्तकालय-कर्मियों का एक हुनरमन्द समूह तैयार किया जाए। इसके लिए ज़रूरी है कि पुस्तकालय के लिए शिक्षक और अन्य लोगों को तैयार करने के लिए एक सघन पाठ्यक्रम बनाया और चलाया जाए ताकि ऐसे लोगों का समूह तैयार हो, जो पुस्तकालयों का सक्रिय और सृजनशील इस्तेमाल कर सकें।
बच्चों के साथ पुस्तकालयों में ऐसी ही अन्य गतिविधियों का आयोजन कर सकें जैसे कहानी सुनना/सुनाना, पुस्तकों का प्रदर्शन करना, पुस्तक पर वार्तालाप करना, स-स्वर पढ़ना और एक जीवन्त पुस्तकालय बनाने की प्रक्रिया शुरु करना।
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