भारत के सबसे बड़े समाज सुधारक कौन थे?//इंडिया
Автор: A1 Liberty ACADEMY
Загружено: 2025-01-10
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दयानन्द सरस्वती का जन्म फाल्गुन दशमी, विक्रमी संवत् 1881 तदनुसार 12 फरवरी, 1824 ई. को टंकारा [2] में हुआ था जो वर्तमान में गुजरात के राजकोट जिले में आता है। उस समय यह मोरबी रियासत में था। उनके पिता का नाम अंबा शंकर और माँ का नाम यशोदा बाई था। उनके पिता एक कर-कलेक्टर होने के साथ ब्राह्मण कुल के समृद्ध और प्रभावशाली व्यक्ति थे। इनका जन्म राशि और मूल नक्षत्र मे होने से स्वामी दयानन्द सरस्वती का बाल्यावस्था में नाम मूलशंकर रखा गया। उनका प्रारम्भिक जीवन बहुत आराम से बीता। दयानंद सरस्वती की माता वैष्णव थीं जबकि उनके पिता शैव मत के अनुयायी थे। आगे चलकर विद्वान बनने के लिए वे संस्कृत, वेद, शास्त्रों व अन्य धार्मिक पुस्तकों के अध्ययन में लग गए।
महाशिवरात्रि को बोध
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शिव के पक्के भक्त बालक मूलशंकर को उनके पिता ने महाशिवरात्रि के अवसर पर व्रत रखने को कहा। शिव मंदिर में रात्रि में बालक ने चूहों को शिव लिंग पर उत्पात मचाते देखा तो उसको बोध हुआ कि यह वह शंकर नहीं है जिसकी कथा उसे सुनाई गई थी। इस के बाद मूलशंकर मन्दिर से घर चला गया और उसके मन में सच्चे शिव के प्रति जिज्ञासा उठी।
गृह त्याग
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अपनी छोटी बहन और चाचा की हैजे के कारण हुई मृत्यु से वे जीवन-मरण के अर्थ पर गहराई से सोचने लगे और ऐसे प्रश्न करने लगे जिससे उनके माता पिता चिन्तित रहने लगे। तब उनके माता-पिता ने उनका विवाह किशोरावस्था के प्रारम्भ में ही करने का निर्णय किया (१९वीं सदी के आर्यावर्त (भारत) में यह आम प्रथा थी)। लेकिन बालक मूलशंकर ने निश्चय किया कि विवाह उनके लिए नहीं बना है और वे 1846 में सत्य की खोज में निकल पड़े।
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