शकुनि मामा के पास थी ऐसी कौन सी ट्रिक कि जब-जब खेलते थे हमेशा होती थी जीत
Автор: Total devotion
Загружено: 2023-05-25
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अगर आपने महाभारत पढ़ी है तो आपने शकुनि मामा के बारे में जरूर पढ़ा होगा. इन्हें अपनी कुटिल बुद्धि के लिए जाना जाता था. इन्हें लोग महाभारत का खलनायक भी कहते हैं. हालांकि ये अपने खेल के लिए काफी मशहूर थे. इन्हें जुआ खेलने में महारत हासिल थी. ये जब भी खेलते थे हमेशा जीतते थे.
शकुनि मामा महाभारत के उन पात्रों में से एक थे, जिन्हें इस युद्ध के होने का जिम्मेदार माना गया है. शकुनि के पिता गांधार के राजा सुबाल थे. शकुनि की बहन बहन गांधारी का विवाह धृतराष्ट्र से हुआ था. वो कौरवों के मामा थे, इसीलिए उनके नाम के आगे मामा लगाया जाता है. शकुनि मामा जुए के खेल में काफी अच्छे थे इसीलिए वो हमेशा दुर्योधन को जुए में कुटिल चाल चलने के पैतरे बताते थे. उन्होंने ने ही पांडवों को जुआ खेलने के लिए विवश किया था और यहीं से दरार आनी शुरू हो गई थी.
शकुनि मामा जुआ खेलने में काफी होशियार थे. उन दिनों जुए को पत्तों से नहीं बल्कि 'चौरस' से खेला जाता था. ये चौकोर आकार के होते थे. इस खेल के सारे पैतरे शकुनि को पता होते थे ऐसे में वो हमेशा जितते थे.
पासों में छुपा था शकुनि का रहस्य-
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि शकुनि मामा ने जुए के पासों को अपने पिता की हड्डी से बनाया था. जब उनके पिता की मृत्यु हुई तो उस दौरान उन्होंने अपने पिता की कुछ हड्डियों को अपने पास रख लिया था. हालांकि इसकी आज्ञा उनके पिता ने ही उन्हें दी थी. उन्होंने मरने से पहले शकुनि से कहा था कि मेरे मरने के बाद मेरी हड्डियों को अपने पास रख लेना और इनसे अपने खेल के पासे बना लेना. ये हमेशा तुम्हारी बात मानेंगे और तुम्हें कभी हारने नहीं देंगे.
ऐसे में शकुनि मामा पासे से जो अंक कहता था हमेशा वहीं आता था. माना जाता है उनके पिता की आत्मा इन पासों में बसती थी, इसीलिए वो कभी नहीं हारते थे. हालांकि कहा ये भी जाता है कि शकुनि के पासे हाथी के दांत के बने हुए थे.
महाभारत में इस बात का उल्लेख है कि शकुनि मामा ने अपने अपने परिवार के साथ हुए अन्याय का बदला लेने के लिए कौरव और पांडवों के समक्ष चौरस खेलने का षडयंत्र रचा था. उसे पता था कि इस खेल में उसे कोई हरा नहीं सकता है और उसकी जीत पक्की है और आखिर में वहीं हुआ कौरव बाजी हार गए.
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