वामन पुराण - 64 | Vaman Purana - 64 | चित्रांगदा सन्दर्भ | विश्वकर्मा का बन्दर होना |
Автор: Lalit Bawra Baba
Загружено: 2023-01-07
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वामन पुराण - 64 | Vaman Purana - 64 | चित्रांगदा सन्दर्भ | विश्वकर्मा का बन्दर होना | वेदवती आदि का उपाख्यान | जाबलिका बंधन मोचन |
वामन पुराण प्रमुख्यता भगवान त्रिविक्रम विष्णु के दिव्य माहात्म्य का वख्याता है | इस पुराण में श्लोकों की संख्या दस हजार है, इस पुराण में पुराणों के पांचों लक्षणों अथवा वर्ण्य-विषयों-सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, मन्वन्तर और वंशानुचरित का वर्णन है। इसमें कुरुक्षेत्र, कुरुजङ्गल, आदि तीर्थों का विस्तार से विवेचन है | इसके वक्ता महिर्षि पुलत्स्य है और प्रशनकर्ता देवऋषि नारद है | नारदजी नारदजी ने व्यास को, व्यास ने लोमहर्षण सूतजी को और सूतजी ने नैमिषारण्य में शौनक आदि ऋषियों को इस कथा को सुनाया था | इसमें भगवान् वामन, नर नारायण, देवी दुर्गा, भक्त प्रह्लाद, भक्तों के आख्यान हैं | शिवजीका लीला-चरित्र, जीवमूत वाहन-आख्यान, दक्ष-यज्ञ-विध्वंस, हरिका कालरूप, कामदेव-दहन, अंधक-वध, लक्ष्मी-चरित्र, प्रेतोपाख्यान, विभिन्न व्रत, स्तोत्र और अन्त में विष्णुभक्ति के उपदेशों के साथ इस पुराणका उपसंहार हुआ है।
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