कैमरे में बंद अपाहिज (रघुवीर सहाय)
Автор: स्कूल में हिंदी
Загружено: 2025-10-23
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इस वीडियो में हम कक्षा 12 हिंदी 'आरोह' (Aaroh) के पाठ 4 'कैमरे में बंद अपाहिज' कविता की विस्तृत सप्रसंग व्याख्या करेंगे। यह कविता सुप्रसिद्ध कवि और पत्रकार रघुवीर सहाय द्वारा रची गई है और उनके काव्य-संग्रह 'जो लोग भूल गये हैं' से ली गई है।
यह कविता मीडिया, विशेषकर टेलीविज़न, की संवेदनहीनता (insensitivity) और क्रूरता पर एक गहरा व्यंग्य है।
इस वीडियो में शामिल प्रमुख बिंदु (Key Topics Covered):
कवि परिचय: रघुवीर सहाय का जीवन परिचय (जन्म 1929, लखनऊ) और उनकी साहित्यिक विशेषताएँ।
कविता का सार: यह कविता दर्शाती है कि कैसे मीडियाकर्मी, जो खुद को 'समर्थ शक्तिवान' मानते हैं, एक 'दुर्बल' (अपाहिज) व्यक्ति को 'बंद कमरे में' लाकर उसका साक्षात्कार लेते हैं।
संवेदनहीन प्रश्न: 'कार्यक्रम रोचक बनाने के वास्ते' वे अपाहिज व्यक्ति से बेतुके और चुभने वाले सवाल पूछते हैं, जैसे:
"तो आप क्या अपाहिज हैं?"
"तो आप क्यों अपाहिज हैं?"
"आपका अपाहिजपन तो दुख देता होगा"
"आपको अपाहिज होकर कैसा लगता है?"
मीडिया का उद्देश्य: उनका एकमात्र उद्देश्य 'पूछ-पूछकर उसको रुला देना' होता है, ताकि दर्शक भी भावुक हो जाएँ और उनका कार्यक्रम सफल हो जाए।
व्यावसायिक क्रूरता: जब उनका यह प्रयास सफल नहीं होता, तो वे 'परदे पर वक्त की कीमत है' कहकर प्रसारण रोक देते हैं।
करुणा का मुखौटा: अंत में, वे 'सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम' कहकर मुसकुराते हैं , जो उनके करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता को उजागर करता है।
व्यापक अर्थ: यह कविता हर उस व्यक्ति की ओर इशारा करती है, जो किसी के दुख-दर्द या यातना को 'बेचना' चाहता है ।
यह वीडियो CBSE Class 12 Hindi के छात्रों के लिए 'कैमरे में बंद अपाहिज' पाठ का सारांश (Summary), व्याख्या (Explanation) और प्रश्न-उत्तर (Question-Answers) समझने में बहुत मददगार होगा।
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