Ram Charitra Manas Bal Kand -1 श्रीरामचरितमानस - बालकाण्ड पहला मासपरायण || सियारामजी05
Автор: Siyaramji05
Загружено: 2023-10-29
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page 73 to 89
पूरा दुसरा माशपरायण
आज के अध्याय में हमने जाना कैसे माता सती ने आत्मदाह के पश्चात हिमालय के यहां पर जन्म लेती है और पार्वती के नाम से विख्यात होती है पार्वती अर्थात पर्वत की पुत्री।
तब नारायण मुनि उनको जाकर बताते हैं की पार्वती जी का विवाह किसी राजा से नहीं अर्थात किसी किसी वैरागी से होगा अतः इनके लिए सबसे अच्छा वर मेरी समझ में भगवान शिव ही है क्योंकि वह बैरागी भी है और भगवान भी है और माता पार्वती के लिए वही सबसे अच्छे विकल्प होंगे
जब रानी मैना यह बात सुनती है तो उनको पहले थोड़ा दुख होता है फिर वह इस बात के लिए मान जाते हैं।
पश्चात माता पार्वती जी शिव जी को पाने के लिए तपस्या करती हैं और घोर तप करती है।
और दूसरी तरफ श्री रामचंद्र जी शिव जी को तपस्या में लीन देखकर उनको बताते हैं की माता सती ने उनके लिए पार्वती के रूप में जन्म लिया है और वह जाकर माता पार्वती से शादी करें।
इसी तरफ एक असुर है जिसका नाम तारकासुर है उसको वरदान है की वह शिव के पुत्र से ही मृत्यु को प्राप्त होगी।
अब भगवान शिव को तपस्या से जगाने के लिए कामदेव उनके पास आते हैं लेकिन कामदेव के द्वारा कुछ भी कार्य से भगवान शिव अपनी तपस्या से नहीं उठाते उसके बाद कामदेव अपने पास रखे 5 बाण काम के शिव जी महाराज पर चला देते हैं जिसकी वजह से वह अपनी तपस्या से उठ बैठते हैं लेकिन रोज के कारण लेकिन क्रोध के कारण उनका तीसरा नेत्र खुल जाता है और इस समय कामदेव उनके तीसरे नेत्र की अग्नि से राख बन जाते है।
माता पार्वती की बात यहां पर सप्त ऋषियों से होती है और शिवजी विवाह के लिया मान जाते हैं।
राम राम जी
जय सियाराम जी
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