भीष्म पितामह के पांच चमत्कारी तीर
Автор: सत्यम शिवम् सुंदरम
Загружено: 2024-03-11
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भीष्म पितामह के वो पांच चमत्कारी तीर जिससे श्रीकृष्ण ने अपने भक्त पांडवों की रक्षा की-
यह बात उस समय की है, जब कुरुक्षेत्र में पितामह भीष्म कौरवों की ओर से युद्ध लड़ रहे थे, दुर्योधन का मानना था कि पितामह भीष्म बहुत शक्तिशाली हैं और पांडवों को मारना उनके लिए बहुत आसान है लेकिन वह पांडवों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते हैं। इसी सोच में दुर्योधन ने पितामह से कहा कि आप किसी शक्तिशाली हथियार का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। दुर्योधन की बात सुनकर भीष्म बोले, “अगर तुम्हें ऐसा लगता है, तो मैं कल ही पांचों पांडवों को मार गिराऊंगा। मेरे पास पांच चमत्कारी तीर हैं, जिनका उपयोग मैं कल युद्ध में करूंगा।” भीष्म पितामह की बात सुनकर दुर्योधन बोला, “मुझे आप पर भरोसा नहीं है, इसलिए आप ये पांचों चमत्कारी तीर मुझे दे दीजिए। मैं इन्हें अपने कमरे में सुरक्षित रखूंगा।’ भीष्म ने वो पांचों तीर दुर्योधन को दे दिए। दूसरी ओर श्रीकृष्ण को इस बात का पता चल गया। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को याद दिलाया कि एक बार तुमने दुर्योधन को गंधर्वो से बचाया था, तब दुर्योधन ने तुमसे कहा था कि इस अहसान के बदले तुम भविष्य में मुझसे कुछ भी मांग सकते हो। यह सही समय है, तुम दुर्योधन से वो पांच चमत्कारिक तीर मांग लाओ। इसी तरह तुम्हारी और तुम्हारे भाइयों की जान बच सकती है। अर्जुन को श्रीकृष्ण की सलाह बिल्कुल सही लगी। अर्जुन ने जब दुर्योधन को उसका दिया वचन याद दिलाया और पांच तीर मांगे, तो दुर्योधन मना नहीं कर सका। दुर्योधन ने अपना वचन निभाया और वो तीर अर्जुन को दे दिए। इस तरह श्रीकृष्ण ने अपने भक्त पांडवों की रक्षा की।
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि यह वीडियो किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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