कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।
Автор: Om Bhakti Harika
Загружено: 2025-11-14
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"कर्पूर गौरं करुणावतारं" एक प्रसिद्ध संस्कृत मंत्र है जो भगवान शिव की स्तुति करता है। इसका अर्थ है कि जो कर्पूर के समान गौर वर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं और गले में सर्पों का हार धारण करते हैं, उन्हें मैं नमन करता हूं, जो पार्वती सहित सदैव मेरे हृदय में निवास करते हैं। यह मंत्र शिव-पार्वती की पूजा के बाद बोला जाता है और अक्सर आरती के अंत में इसका उच्चारण किया जाता है।
मंत्र का विस्तृत अर्थ
कर्पूर गौरं (Karpur gauram):
कपूर के समान श्वेत वर्ण वाले, जो शुद्धता और निर्मलता का प्रतीक है।
करुणावतारं (Karunavtaram): करुणा (दया) के साक्षात् अवतार।
संसारसारं (Sansarsaram): सम्पूर्ण संसार के सार, यानी ब्रह्मांड के मूल स्वरूप।
भुजगेन्द्रहारम् (Bhujagendrharam): जो गले में सर्पों के राजा (नागराज) का हार धारण
करते हैं।
**सदा वसंतं हृदयारविन्दे (Sada vasantam hrdayaravinde): जो सदैव कमल के समान हृदय में निवास करते हैं।
**भवं भवानीसहितं नमामि (Bhavan bhavanisahitain namami): जो शिव और देवी भवानी (पार्वती) के साथ हैं, उन्हें मैं प्रणाम करता हूं।
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