YAH DANTURIT MUSKAN [यह दंतुरित मुसकान] || CLASS 10TH -HINDI || BY Amit sir || Bharatvarsh classes
Автор: भारतवर्ष Classes
Загружено: 2021-09-18
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YAH DANTURIT MUSKAN [यह दंतुरित मुसकान] || CLASS 10TH -HINDI || BY Amit sir || Bharatvarsh classes
With question answer
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यह दंतुरित मुसकान
मृतक में भी डाल देगी जान
धूलि-धूसर तुम्हारे ये गात
छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात
परस पाकर तुम्हारा ही प्राण,
पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण
छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल
बाँस था कि बबूल?
तुम मुझे पाए नहीं पहचान?
देखते ही रहोगे अनिमेष!
थक गए हो?
आँख लूँ मैं फेर?
क्या हुआ यदि हो सके परिचित न पहली बार?
यदि तुम्हारी माँ न माध्यम बनी होती आज
मैं न पाता जान
धन्य तुम, माँ भी तुम्हारी धन्य!
चिर प्रवासी मैं इतर, मैं अन्य!
इस अतिथि से प्रिय तुम्हारा क्या रहा संपर्क
उँगलियाँ माँ की कराती रही हैं मधुपर्क
देखते तुम इधर कनखी मार
और होतीं जब कि आँखें चार
तब तुम्हारी दंतुरित मुसकान
मुझे लगती बड़ी ही छविमान!
अभ्यास
1. बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
2. बच्चे की मुसकान और एक बड़े व्यक्ति की मुसकान में क्या अंतर है?
3. कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है?
4. भाव स्पष्ट कीजिए:
a. छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात।
b. छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल
बाँस था कि बबूल?
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