आषाढ़ मास का महत्व, दान / आषाढ़ मास में क्या करे, क्या नहीं करे/ Aashad maas me kya daan kre,
Автор: Mera Safar 1M
Загружено: 2022-06-22
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आषाढ़ मास का महत्व, दान / आषाढ़ मास में क्या करे, क्या नहीं करे/ Aashad maas me kya daan kre,
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आषाढ़ मास में क्या करें और क्या नहीं करे
आषाढ़ मास में दान का महत्व
पूर्ण फल प्राप्ति के उपाय
इस वर्ष 2022 में 19 साल बाद ऐसा संयोग बना हैं जब आषाढ़ मास और सूर्य का राशि परिवर्तन एक साथ हुआ हैं। धार्मिक दृष्टि से आषाढ़ मास का विशेष महत्व माना गया है।
आषाढ़ माह का धार्मिक महत्व
आषाढ़ का महीना भगवान विष्णु का महीना होता है. इस दौरान भगवान श्रीहरि की पूजा-अर्चना करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है.
आषाढ़ माह में आने वाली योगिनी एकादशी का व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है।
आपको बता दें कि, आषाढ़ माह में देवशयनी एकादशी आती है, इसके बाद चार माह बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को देवता शयन से जागते हैं, जिसे देवउठनी एकादशी कहा जाता है।
दान का विशेष महत्व
आषाढ़ माह को लेकर मानना है कि यह जीवन में सकारात्मकता लेकर आता है। इसलिए इस माह को दान-पुण्य के लिए भी श्रेष्ठ बताया गया है। आषाढ़ मास में खड़ाऊं, छाता, नमक, तांबा, कांसा और मिट्टी के बर्तन, आंवला, गुड़, चावल,गेहूं, तथा तिल दान करना शुभ माना जाता है। ब्राह्मणों को यह दान करने से भगवान वामन प्रसन्न होते हैं। ये भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। इस महीने इनकी विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए।
इसके अलावा शास्त्रों में आषाढ़ अमावस्या को भी स्नान, दान-पुण्य, पितृ कर्म के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है। यह अमावस्या बहुत पुण्य फलदायी मानी गई है।
बताये गए नियमो का पालन करके आप आध्यात्मिक और शारिरिक सुख प्राप्त कर सकते हैं।
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हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ का महीना चौथा महीना होता है जो इस वर्ष 2022 में 15 जून से शुरू होकर 13 जुलाई तक रहेगा इस महीने में अनेक त्यौहार और पर्व मनाए जाते हैं।. वर्षा ऋतु के प्रारंभ होने के साथ ही देवशयनी एकादशी, गुप्त नवरात्रि और जगन्नाथ यात्रा जैसे प्रमुख त्योहार इसी महीने आते हैं।
इस महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर देवशयनी पर्व मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन से भगवान विष्णु चार महीनों की योगनिद्रा में चले जाते हैं और चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है। इन चार महीनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है.
इस दिन महीने में भगवान शंकर व भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है।आषाढ़ मास में तीर्थस्नान, जप-पाठ, दान आदि का विशेष महत्व रहता हैं।
इस महीने में कुछ उपायों को करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
आइए आज की वीडियो में मैं आपको बताती हूँ। इस माह के कुछ ऐसे उपाय जिन्हें करने से मिलेगा पुण्य फल.
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देव पूजन
शास्त्रों के अनुसार आषाढ़ का महीना पूजा-पाठ के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस माह में विष्णु भगवान, शंकर भगवान, मंगलदेव, सूर्य देव, और देवी दुर्गा की पूजा करने से शक्ति और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इस महीने जातक की कुंडली में बैठा मंगल भी पूजा के प्रभाव से अशुभ की जगह शुभ लाभ देने लग जाता है। आषाढ़ मास में जल देव की पूजा का भी विशेष महत्व है.
हवन
आषाढ़ का महीना हवन करने के लिए अन्य महीनों की तुलना में श्रेष्ठ महीना माना जाता है. शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि इस माह में यज्ञ करने से तुरंत फल की प्राप्ति होती है।
चूंकि इस महीने से वर्षा ऋतु का आगमन होता है. इस महीने मौसम में नमी होने की वजह से अनेक प्रकार के किटाणु उत्पन्न हो जाते है. ऐसे में हवन करने वाले व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि भी होती है. साथ ही साथ वातावरण की शुद्धि होती है.
दान
वैसे तो दान करना हमेशा ही अच्छा माना जाता है और दान करने के लिए किसी खास मुहूर्त की जरूरत नही होती है। लेकिन फिर भी आषाढ़ के महीने में दान का महत्व और अधिक बढ़ जाता है. संक्रान्ति, पूर्णिमा और चन्द्र ग्रहण तीनों ही समय में यथा शक्ति दान कार्य करने चाहिए। जो तीर्थ स्थलों में न जा पाए उन्हें अपने घर में ही स्नान, दान कार्य कर लेने चाहिए।
आषाढ़ की अमावस्या पर किया गया दान पितरों की आत्मा को संतुष्टि पहुंचाता है. इस महीने में जरूरमंद व्यक्ति को नमक, तांबा, कांसा, मिट्टी का पात्र, गेहूं, गुड़, चावल, तिल, छाता, चप्पल, वस्त्र आदि का दान करना शुभ माना जाता है। दान करने से दानी को मानसिक और आध्यात्मिक सन्तुष्टि की प्राप्ति होती है। और दान ग्रहण करने वाले को जरूरत की वस्तु की प्राप्ति होने से आत्मसंतुष्टि होती है। और वो अनेकानेक दुआएं देता है। जिससे दानी का इस लोक के साथ साथ परलोक भी सुधर जाता है।
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