सावित्रीबाई फुले (तार्किक चर्चा)
Автор: BADLAV SOCIAL SOCIETY HR
Загружено: 2025-10-27
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शीर्षक (Title): भारत की पहली महिला शिक्षिका, जिन पर लोगों ने गोबर और पत्थर फेंके | सावित्रीबाई फुले की कहानी
विवरण (Description):
क्या आप जानते हैं कि भारत की पहली महिला शिक्षिका को स्कूल जाने के लिए हर दिन किन संघर्षों से गुजरना पड़ता था?
यह दस्तावेज़ "साहस, संघर्ष और समर्पण की प्रेरणा: सावित्रीबाई फुले" पुस्तक पर आधारित है, जिसे भिक्खु डॉ. करुणाशील राहुल ने लिखा है। यह माता सावित्रीबाई फुले के उस क्रांतिकारी जीवन का वर्णन करता है, जब उन्होंने महिलाओं और शूद्रों के लिए शिक्षा के द्वार खोले थे।
इस दस्तावेज़ में आप जानेंगे:
शिक्षा का संघर्ष: जब सावित्रीबाई फुले लड़कियों को पढ़ाने के लिए घर से निकलती थीं, तो रास्ते में लोग उन पर कीचड़, गोबर और पत्थर फेंकते थे।
घर से बेघर: शिक्षा के इस मिशन के कारण, ज्योतिबा फुले के पिता ने सामाजिक दबाव में आकर दोनों (ज्योतिबा और सावित्री) को घर से निकाल दिया था।
बाल हत्या निषेध गृह: उन्होंने विधवाओं (विशेषकर गर्भवती विधवाओं) को आत्महत्या से बचाने और उनके बच्चों को एक सुरक्षित जीवन देने के लिए "बाल हत्या निषेध प्रसूति गृह" की स्थापना की।
पंचायत में साहस: उन्होंने ब्राह्मणों द्वारा बुलाई गई पंचायत में निडर होकर अपने कार्यों का बचाव किया और उनके पाखंड को उजागर कर दिया।
अंतिम बलिदान: 1897 में, प्लेग महामारी के दौरान, वह बिना अपनी जान की परवाह किए रोगियों की सेवा करने में जुट गईं और इसी संक्रमण की चपेट में आकर उनका निधन हो गया।
माता सावित्रीबाई फुले का जीवन साहस, करुणा और सामाजिक न्याय के लिए अटूट समर्पण की एक मिसाल है। उनके बारे में अधिक जानने के लिए यह विश्लेषण अवश्य देखें।
पुस्तक: साहस, संघर्ष और समर्पण की प्रेरणा सावित्रीबाई फुले
लेखक: भिक्खु डॉ. करुणाशील राहुल
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