“ मजदूरी ”आज मैं नहीं करोगे तो कल मजदूरी करनी पड़ेगी mindwave motivation
Автор: mindwave motivation
Загружено: 2025-08-27
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“ मजदूरी ”आज मैं नहीं करोगे तो कल मजदूरी करनी पड़ेगी mindwave motivation
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की प्रेरणादायक कहानी ✨
तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक गरीब घर में जन्म हुआ एक छोटे बच्चे का।
उसके पिता मछुआरे थे और परिवार की हालत बहुत तंग थी। पढ़ाई के लिए साधन नहीं थे, मगर सपनों की उड़ान आसमान से भी ऊँची थी।
उस बच्चे का नाम था — अवुल पकिर जैनुलआबिदीन अब्दुल कलाम।
जी हाँ, वही व्यक्ति जिन्हें हम सब आज "मिसाइल मैन" और "भारत रत्न डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम" के नाम से जानते हैं।
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बचपन का संघर्ष
किताबें ख़रीदने तक के पैसे नहीं थे। पढ़ाई जारी रखने के लिए वे बचपन में अख़बार बाँटा करते थे।
सुबह जल्दी उठकर अख़बार बाँटना और फिर स्कूल जाना – यही दिनचर्या थी। लेकिन हालात चाहे कितने ही कठिन क्यों न रहे हों, उन्होंने कभी अपनी पढ़ाई और सपनों को छोड़ने का नाम नहीं लिया।
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विज्ञान के प्रति जुनून
कलाम साहब को विज्ञान और उड़ने वाली मशीनों से गहरा लगाव था। वे आकाश को निहारते रहते थे और सपनों में विमान उड़ाते।
गरीब घर के बच्चे ने ठान लिया था कि "मैं आसमान में उड़ूँगा और अपने देश को ऊँचाइयों तक ले जाऊँगा।"
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मेहनत और उपलब्धियाँ
इसी जुनून ने उन्हें एयरोस्पेस इंजीनियरिंग तक पहुँचाया।
उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO) में काम किया।
भारत के पहले उपग्रह प्रक्षेपण यान (SLV-III) की टीम का हिस्सा बने और फिर देश के लिए एक से बढ़कर एक मिसाइलें बनाई।
लोग उन्हें प्यार से "मिसाइल मैन" कहने लगे।
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राष्ट्रपति और "जनता के राष्ट्रपति"
2002 में वे भारत के राष्ट्रपति बने।
लेकिन राष्ट्रपति बनने के बाद भी वे हमेशा बच्चों से जुड़ते रहे, कॉलेजों में लेक्चर देते रहे और युवाओं को प्रेरित करते रहे।
उनका सबसे बड़ा सपना था –
"भारत 2020 तक एक विकसित राष्ट्र बने।"
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अंतिम क्षण भी प्रेरणा बने
27 जुलाई 2015 को, जब वे भारतीय प्रबंधन संस्थान, शिलॉन्ग में विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे, तभी दिल का दौरा पड़ा और उनका निधन हो गया।
यानी उन्होंने अपनी अंतिम साँस तक युवाओं को प्रेरित करते हुए ही दुनिया छोड़ी।
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✨ सीख ✨
अब्दुल कलाम की कहानी हमें सिखाती है –
गरीबी कभी भी सपनों की राह नहीं रोक सकती।
अगर मेहनत और ईमानदारी से काम किया जाए तो नाम और सम्मान अपने आप मिलते हैं।
असली नेता वही होता है जो दूसरों के सपनों को पूरा करने के लिए जीता है।
आज भी जब कोई युवा सपनों की उड़ान भरना चाहता है, तो वह कलाम साहब को याद करता है।
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