‘सनातन धर्म मानव कल्याण और आप’ #8 - सीधी बात एम. इक़बाल के साथ
Автор: JEEV DHARM
Загружено: 2025-11-08
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‘सनातन धर्म मानव कल्याण और आप’ #8 - सीधी बात एम. इक़बाल के साथ
‘जीव धर्म’ के धार्मिक एकता के कारवां का यह 8वां पड़ाव है। आज हम आपको इस एपिसोड में ‘सनातन धर्म मानव कल्याण और आप’ के विषय में सीधी बात करने जा रहे हैं। क्योंकि आप ही हमारी शक्ति, आप ही हमारे पथ प्रदर्शक हैं और आपके सहयोग से ही दुःखों से मुक्ति का कारवां आगे बढ़ेगा।
धर्म तो ईश्वर (अल्लाह, गाड) ने जीव कल्याण के लिए भेजे हैं। धर्म मानव विनाश के लिए तो हो ही नहीं सकता है क्योंकि ईश्वर सदैव कल्याण करता है इसलिए मैंने निर्णय लिया कि सभी धर्मों में जो बात समान है वह जीव कल्याण है। इसलिए सभी धर्मों के जीव कल्याण के संदेश को जन-जन तक पहुंचाकर जीव कल्याण का कार्य किया जाये इस क्रम में मैंने निर्णय किया कि अब आगे के जीवन में धर्मों की मूल आत्मा जीव कल्याण को लक्ष्य बनाकर निःस्वार्थ समाज सेवा की जाये और स्वर्णिम भारत का निर्माण किया जाये। क्योंकि मानवता कराह रही है। आवश्यक यह है कि धर्म की आत्मा जीव कल्याण है तो जीव कल्याण के एजेण्डे पर सभी धर्मावलम्बी एकजुट होकर जीव कल्याण का कार्य करें।
जीव धर्म’ का लक्ष्य मानवीय जीवन को दुःखों से मुक्ति दिलाना है इसके लिए तीन बुनियादी बिन्दुओं पर सभी धर्मावलम्बियों को संगठित होकर कार्य करना होगा तब ही दुःखों से मुक्ति मिलेगी।
प्रथम- अमानवीय व्यवस्था
द्वितीय- आर्थिक असमानता
तृतीय- त्वरित न्याय न मिलना
मानवीय जीवन के दुःखों के यही तीन केन्द्र हैं
आज यह कारवां अपनी यात्रा के सातवें पड़ाव पर है जिसमें आज मैं आपसे सीधी बात कर रहा हूं मुझे आशा ही नहीं वरन् पूर्ण विश्वास है कि स्वर्णिम भारत के निर्माण में मुझे आपका सहयोग, स्नेह, आशीर्वाद और साथ अवश्य मिलेगा इसी विश्वास के साथ आज आपसे सीधी बात कर रहा हूं।
आशा है कि यह एपिसोड आपके जीवन को सत्य के मार्ग पर ले जाकर सफलता के शिखर पर पहुंचाएगा। आप सनातन मार्ग पर चलकर अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करेगें।
सम्पूर्ण संसार में आज मानवता दुःखों से कराह रही है। कराहती मानवता के ज़ख्मों पर मरहम लगाना एक इश्वरीय कार्य है। धर्म का कार्य जीव कल्याण है जीव विनाश नहीं। ‘जीव धर्म’ की उत्पत्ति का लक्ष्य जीव कल्याण है। संसार में मुख्य रूप से सनातन धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म, सिक्ख धर्म, पारसी धर्म, यहूदी धर्म, ईसाई धर्म, इस्लाम धर्म के सबसे अधिक अनुयायी हैं परन्तु सभी दुःखी हैं। विश्व में जो दुःख है उस दुःख का कारण है और उसका निवारण है। ‘जीव धर्म’ का लक्ष्य सम्पूर्ण मानवता को दुःखों से मुक्ति दिलाना है। मानव की धर्म, जाति, भाषा, क्षेत्र कोई भी हो लेकिन उसकी मानवीय आवश्यकता लगभग समान है जैसे- भूखे को भोजन, प्यासे को पानी, नंगे बदन को कपड़ा, बीमार को दवा, अशिक्षित को शिक्षा, पीड़ित को न्याय और कमज़ोर को सुरक्षा मानवीय जीवन की प्रथम आवश्यकताएं हैं। आज ज्ञान-विज्ञान का युग है धर्म के शीर्षकों के युद्ध की आवश्यकता नहीं, जातीय संघर्ष का समय नहीं है। अब संसार को केवल शांति, सुरक्षा, विकास एवं सम्पूर्ण विश्व को ‘जीव कल्याण’ की आवश्यकता है क्योंकि संसार का कोई भी धर्म हिंसा, विनाश, विध्वंस, अशिक्षा, कुपोषण एवं पाप, अपराध, व्याभिचार व भ्रष्टाचार का न ही आदेश देता है और न ही समर्थन करता है इसलिए अब सभी धर्मों के अनुयायियों को संगठित होकर ‘जीव कल्याण’ के पथ पर आगे बढ़ना होगा इसी में सम्पूर्ण मानवता, भारत और विश्व का कल्याण है तथा मानवता का उत्कर्ष ही ‘जीव धर्म’ की मंज़िल है। ‘जीव धर्म’ का लक्ष्य है कि हम भारत के लोग ‘जीव धर्म’ के माध्यम से एक ऐसे स्वर्णिम भारत का निर्माण करेंगे जहां समता, समानता तथा विश्व बन्धुत्व हो। सभी को विकास के समान अवसर तथा न्याय मिले। भय, भूख, गरीबी, बेरोज़गारी, अशिक्षा, कुपोषण, भ्रष्टाचार, अन्याय से मुक्ति मिले। अंधविश्वास के विरूद्ध वैज्ञानिक दृष्टिकोण हो तथा ज्ञान, विज्ञान एवं टेक्नाॅलोजी राष्ट्रीय विकास का आधार हो। आज दुःखों से मुक्ति के इस पथ पर ‘जीव धर्म’ के इस कारवां से मैं दिल की गहराईयों से स्वागत व अभिनंदन करता हूँ कि इस यात्रा में हमें आपका साथ, स्नेह व आशीर्वाद अवश्य मिलेगा।
बहुत बहुत धन्यवाद!
जय जीव, जय भारत
आपका अपना
एम. इकबाल (एडवोकेट)
संस्थापक ‘जीव धर्म’
Email: [email protected]
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