अत्यधिक उर्वरक प्रयोग और मृदा स्वास्थ्य पर दष्प्रभाव
Автор: Department of Fertilizers
Загружено: 2025-10-24
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कार्यक्रम : अत्यधिक उर्वरक प्रयोग और मृदा स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव
विशेषज्ञ : श्री शैलेन्द्र कुमार सिंह, कृषि विशेषज्ञ, प्रसार निदेशालय, SHUATS
कार्यक्रम का विवरण:
सामुदायिक रेडियो स्टेशन से “अत्यधिक उर्वरक प्रयोग और मृदा स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव” विषय पर एक लाइव रेडियो कार्यक्रम प्रसारित किया।
इस कार्यक्रम में प्रसार निदेशालय के कृषि विशेषज्ञ श्री शैलेन्द्र कुमार सिंह ने किसानों को संबोधित करते हुए बताया कि बिना संतुलन के अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से मृदा की गुणवत्ता निरंतर गिर रही है। जब खेतों में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का अत्यधिक प्रयोग किया जाता है, तो मृदा की प्राकृतिक उर्वरता कम होने लगती है।
विशेषज्ञ ने यह भी बताया कि अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से:
मृदा की जैविक संरचना नष्ट होती है।
सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।
मृदा की जल धारण क्षमता घट जाती है।
लंबे समय में खेती की लागत बढ़ती है और उत्पादन क्षमता घटती है।
उन्होंने किसानों को सुझाव दिया कि वे जैविक खाद, हरी खाद, और फसल अवशेष प्रबंधन को अपनाएँ तथा रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग केवल संतुलित मात्रा में करें।
साथ ही, उन्होंने यह भी समझाया कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के माध्यम से किसान अपनी मिट्टी की वास्तविक आवश्यकता जानकर ही उर्वरक का उपयोग करें।
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