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पृथ्वी 🌍454 करोड़ साल पुरानी है. || Earth🌍 is 454 Carore Year Old

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पृथ्वी 🌍454 करोड़ साल पुरानी है.

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Автор: Gauravb12

Загружено: 2022-12-04

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Описание: पृथ्वी 🌍454 करोड़ साल पुरानी है. || Earth🌍 is 454 Carore Year Old #shorts #earth 🌍#G4Gaurav #viral
पृथ्वी (प्रतीक: 🜨) सौर मण्डल में सूर्य से तीसरा ग्रह है और एकमात्र खगोलीय वस्तु है जो जीवन को आश्रय देने के लिए जाना जाता है। इसकी सतह का 71% भाग जल से तथा 29% भाग भूमि से ढका हुआ है। इसकी सतह विभिन्न प्लेटों से बनी हुए है। इस पर जल तीनो अवस्थाओं में पाया जाता है। इसके दोनों ध्रुवों पर बर्फ की एक मोटी परत है।
रेडियोमेट्रिक डेटिंग अनुमान और अन्य सबूतों के अनुसार पृथ्वी की उत्पत्ति 4.54 अरब साल पहले हुई थी। पृथ्वी के इतिहास के पहले अरब वर्षों के भीतर जीवों का विकास महासागरों में हुआ और पृथ्वी के वायुमण्डल और सतह को प्रभावित करना शुरू कर दिया जिससे अवायुजीवी और बाद में, वायुजीवी जीवों का प्रसार हुआ। कुछ भूगर्भीय साक्ष्य इंगित करते हैं कि जीवन का आरम्भ 4.1 अरब वर्ष पहले हुआ होगा। पृथ्वी पर जीवन के विकास के दौरान जैवविविधता का अत्यन्त विकास हुआ। हजारों प्रजातियाँ लुप्त होती गयी और हजारों नई प्रजातियाँ उत्पन्न हुई। इसी क्रम में पृथ्वी पर रहने वाली 99% से अधिक प्रजातियाँ विलुप्त हैं। सूर्य से उत्तम दूरी, जीवन के लिए उपयुक्त जलवायु और तापमान ने जीवों में विविधता को बढ़ाया।
पृथ्वी का वायुमण्डल कई परतों से बना हुआ है। नाइट्रोजन और ऑक्सीजन की मात्रा सबसे अधिक है। वायुमण्डल में ओज़ोन गैस की एक परत है जो सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को रोकती है। वायुमण्डल के घने होने से इस सूर्य का प्रकाश कुछ मात्रा में प्रवर्तित हो जाता है जिससे इसका तापमान नियन्त्रित रहता है। अगर कोई उल्का पिण्ड पृथ्वी के वायुमण्डल में प्रवेश कर जाता है तो वायु के घर्षण के कारण या तो जल कर नष्ट हो जाता है या छोटे टुकड़ों में विभाजित हो जाता है।
पृथ्वी की ऊपरी सतह कठोर है। यह पत्थरों और मृदा से बनी है। पृथ्वी का भूपटल कई कठोर खण्डों या विवर्तनिक प्लेटों में विभाजित है जो भूगर्भिक इतिहास के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान को विस्थापित हुए हैं। इसकी सतह पर विशाल पर्वत, पठार, महाद्वीप, द्वीप, नदियाँ, समुद्र आदि प्राकृतिक सरंचनाएँ है। पृथ्वी की आन्तरिक रचना तीन प्रमुख परतों में हुई है भूपटल, भूप्रावार और क्रोड। इसमें से बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे और निकल के आतंरिक कोर के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुम्बकत्व या चुम्बकीय क्षेत्र को पैदा करता है। पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र विभिन्न प्रकार के आवेशित कणों को प्रवेश से रोकता है।

पृथ्वी सूर्य से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर स्थित है। दूरी के आधार पर यह सूर्य से तीसरा ग्रह है। यह सौर मण्डल का सबसे बड़ा चट्टानी पिण्ड है। पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर 365 दिनों में पूरा करती है। यह अपने अक्ष पर लम्बवत 23.5 डिग्री झुकी हुई है। इसके कारण इस पर विभिन्न प्रकार के मौसम आते हैं। अपने अक्ष पर यह 24 घण्टे में एक चक्कर पूरा करती है जिससे इस पर दिन और रात होती है। चन्द्रमा के पृथ्वी के निकट होने के कारण यह पृथ्वी पर मौसम के लिए दायी है। इसके आकर्षण के कारण इस पर ज्वार-भाटे उत्पन्न होता है। चन्द्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है।


नाम और व्युत्पत्ति
पृथ्वी अथवा पृथिवी एक संस्कृत शब्द हैं जिसका अर्थ " एक विशाल धरा" निकलता हैं। एक अलग पौराणिक कथा के अनुसार, महाराज पृथु के नाम पर इसका नाम पृथ्वी रखा गया। इसके अन्य नामो में- धरा, भूमि, धरित्री, रसा, रत्नगर्भा इत्यादि सम्मिलित हैं।

भौतिक विशेषताएँ

पृथ्वी की आकृति अण्डाकार है। घुमाव के कारण, पृथ्वी भौगोलिक अक्ष में चिपटा हुआ और भूमध्य रेखा के आसपास उभार लिया हुआ प्रतीत होता है।भूमध्य रेखा पर पृथ्वी का व्यास, अक्ष-से-अक्ष के व्यास से 43 किलोमीटर (27 मील) ज्यादा बड़ा है। इस प्रकार पृथ्वी के केन्द्र से सतह की सबसे लम्बी दूरी, इक्वाडोर के भूमध्यवर्ती चिम्बोराज़ो ज्वालामुखी का शिखर तक की है। इस प्रकार पृथ्वी का औसत व्यास 12,742 किलोमीटर (7, 918 मील) है। कई जगहों की स्थलाकृति इस आदर्श पैमाने से अलग नजर आती हैं हालाँकि वैश्विक पैमाने पर यह पृथ्वी के त्रिज्या की तुलना नजरअंदाज ही दिखाई देता है: सबसे अधिकतम विचलन 0.17% का मारियाना गर्त (समुद्रीस्तर से 10,911 मीटर (35,797 फुट) नीचे) में है, जबकि माउण्ट एवरेस्ट (समुद्र स्तर से 8,848 मीटर (29,029 फीट) ऊपर) 0.14% का विचलन दर्शाता है। यदि पृथ्वी, एक बिलियर्ड गेंद के आकार में सिकुड़ जाये तो, पृथ्वी के कुछ क्षेत्रों जैसे बड़े पर्वत शृंखलाएँ और महासागरीय खाईयाँ, छोटे खाइयों की तरह महसूस होंगे, जबकि ग्रह का अधिकतर भू-भाग, जैसे विशाल हरे मैदान और सूखे पठार आदि, चिकने महसूस होंगे.

रासायनिक संरचना
मुख्य लेख: पृथ्वी की रासायनिक संरचना
परत की रासायनिक संरचना
यौगिक रसायनिक सूत्र संरचना
महाद्वीपीय समुद्रीय
सिलिका SiO2 60.2% 48.6%
एल्यूमिना Al2O3 15.2% 16.5%
चूना CaO 5.5% 12.3%
मैग्नीशिया MgO 3.1% 6.8%
आयरन(II) ऑक्साइड FeO 3.8% 6.2%
सोडियम ऑक्साइड Na2O 3.0% 2.6%
पोटेशियम ऑक्साइड K2O 2.8% 0.4%
आयरन(III) ऑक्साइड Fe2O3 2.5% 2.3%
जल H2O 1.4% 1.1%
कार्बन डाइआक्साइड CO2 1.2% 1.4%
टाइटेनियम डाइऑक्साइड TiO2 0.7% 1.4%
फास्फोरस पैंटॉक्साइड P2O5 0.2% 0.3%
Total 99.6% 99.9%
पृथ्वी की रचना में निम्नलिखित तत्वों का योगदान है

34.6% आयरन
29.5% आक्सीजन
15.2% सिलिकन
12.7% मैग्नेशियम
2.4% निकेल
1.9% सल्फर
0.05% टाइटेनियम
शेष अन्य
धरती का घनत्व पूरे सौरमंडल मे सबसे ज्यादा है। बाकी चट्टानी ग्रह की संरचना कुछ अंतरो के साथ पृथ्वी के जैसी ही है। चन्द्रमा का केन्द्रक छोटा है, बुध का केन्द्र उसके कुल आकार की तुलना मे विशाल है, मंगल और चंद्रमा का मैंटल कुछ मोटा है, चन्द्रमा और बुध मे रासायनिक रूप से भिन्न भूपटल नही है, सिर्फ पृथ्वी का अंत: और बाह्य मैंटल परत अलग है। ध्यान दे कि ग्रहो (पृथ्वी भी) की आंतरिक संरचना के बारे मे हमारा ज्ञान सैद्धांतिक ही है।

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