जब इंद्रियाँ बन जाएं डाकू | Bhakti Rasamrita Swami
Автор: HH Bhakti Rasamrita Swami
Загружено: 2025-06-24
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इस प्रेरणादायक प्रवचन में परम पूज्य भक्ति रसामृत स्वामी महाराज ने बताया कि इंद्रियाँ यदि संयमित न हों तो वे साधक के आत्मिक जीवन को लूटने वाले डाकू बन जाती हैं।
महाराज ने शास्त्रों और संतवाणी के आधार पर समझाया कि आत्मा को वैकुण्ठ धाम की ओर ले जाने वाला मार्ग इंद्रिय, मन और बुद्धि के सम्यक् नियंत्रण से होकर गुजरता है।
📌 प्रवचन में समाहित मुख्य बिंदु:
🔸 इस भौतिक संसार के विभिन्न नाम — क्यों इसे 'जेल', 'मायाजाल' और 'अंधकार' कहा गया
🔸 लोभी व्यक्ति और भक्त में अंतर — उद्देश्य और दृष्टिकोण में अंतर क्या है
🔸 "इंद्रियाँ डाकू हैं" — यह उपमा क्यों दी गई है?
🔸 श्री प्रभोदानंद सरस्वती का दृष्टिकोण — इंद्रियों के विषय में
🔸 कठोपनिषद में शरीर को रथ कहा गया है — और इंद्रियाँ उसके घोड़े
🔸 इंद्रिय, मन, बुद्धि — इनका सही नियंत्रण क्यों है आवश्यक
🔸 क्या हम मन के नियंत्रण में हैं या मन हमारे नियंत्रण में?
🔸 वैकुण्ठ धाम कैसे पहुँचा जा सकता है? — आत्मा की वास्तविक यात्रा क्या है?
यह प्रवचन आत्मनिरीक्षण और इंद्रिय-नियंत्रण की आवश्यकता को गहराई से उजागर करता है।
19 June 2025
Gokuldham Eco village, Belagavi
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